संतोष की बात यह है कि पिछले दो दिनों से प्रदेश में चल रही डॉक्टरों की हड़ताल शुक्रवार की आधी रात खत्म हो गई। हड़ताल पर गए डॉक्टर हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोशिएशन (एचसएमएस) से जुड़े हुए हैं। लेकिन प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज कराने की नीयत से आने वाले मरीजों की दिक्कतें खत्म नहीं हुई हैं। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) से जुड़े प्रदेश के15 हजार कर्मचारी पिछले दो दिन से हड़ताल पर हैं। शुक्रवार को तो हालत ज्यादा खराब थी क्योंकि डॉक्टर भी हड़ताल पर थे और एनएचएम कर्मी भी। एनएचएम में कुछ डॉक्टरों के अलावा एंबुलेंस चालक, नर्स, लैब टेक्नीशियन से लेकर डाटा इंट्री और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक आते हैं। एनएचएम कर्मचारियों के संगठनों का कहना है कि अभी दो दिन और चलने वाली हड़ताल के बीच सरकार ने उनकी नहीं मांगें मानी, आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। एनएचएम कर्मियों की हड़ताल से प्रसव, डाटा एंट्री, एंबुलेंस सेवा सहित लगभग 15 तरह की सेवाएं बाधित हैं। अब जब हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज से जुड़े डॉक्टर काम पर लौट आए हैं, लेकिन इतने भर से मरीजों को कोई खास राहत मिलने वाली नहीं है।
अल्ट्रासाउंड, टीकाकरण, नर्सिंग सेवाएं, अस्पतालों में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसी तमाम सुविधाएं तो मरीजों को मिलने से रहीं। पिछले दो दिन जिस तरह प्रदेश के हजारों मरीजों को जो परेशानियां झेलनी पड़ी हैं, उसको देखते हुए यही कहा जा सकता है कि मानवता के नाते चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों को किसी भी तरह हड़ताल नहीं करनी चाहिए। वहीं सरकार को भी चाहिए कि वह चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता और सहानुभूतिपूर्वक विचार करके उनकी जायज मांगों को तुरंत मान ले क्योंकि चिकित्सा क्षेत्र किसी के जीने-मरने से जुड़ा मामला है। डॉक्टरों और नेशनल हेल्थ मिशन से जुड़े कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से पानीपत के सरकारी अस्पताल में दो महिलाओं को फर्श पर ही अपने बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अस्पताल के गेट पर अपने बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर हुई महिला के लिए वह क्षण कितनी शर्मिंदगी भरा रहा होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। इसी अस्पताल में एनएससीयू वार्ड में भर्ती 12 नवजातों की जिंदगी खतरे में है। इन बच्चों को सी पैप मशीन पर रखा गया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने दूसरे वार्डों की नर्सिंग आफीसर को सहायता के लिए बुला रखा है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन्हें सी पैप और एचएफएनसी मशीनों को चलाने की जानकारी नहीं है। अब यदि इन बारह बच्चों को कुछ हो जाता है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? सरकार और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों को मरीजों का हित पहले देखना चाहिए।
-संजय मग्गू
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