राजनीति विकास की होनी चाहिए या तात्कालिक लाभ दिलाने की, यह भारतीय राजनीति के सामने खड़ी हुई नई चुनौती है। इस चुनौती से पार पाने की कोशिश हमारे देश में नहीं दिखाई देती है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनावी माहौल और दलों के चुनाव घोषणा पत्रों ने यह साबित कर दिया है कि फिलहाल लोगों को विकास की राजनीति में दिलचस्पी उतनी नहीं है, जितनी तात्कालिक लाभ लेने और दिलाने की है। ज्यादातर मतदाता भी उन्हीं राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को वोट देने में रुचि ले रहे हैं जो तात्कालिक लाभ दिलाने का अच्छी तरह से विश्वास दिलाने में सफल हो रहे हैं। बुधवार को कांग्रेस ने हरियाणा का चुनाव घोषणा पत्र जारी करते हुए सात प्रमुख वादे किए हैं।
इनमें महिलाओं को हर महीने दो हजार रुपये देने, दो लाख खाली पड़े पदों पर सरकारी भर्तियां, नशा मुक्त हरियाणा, छह-छह हजार रुपये बुढ़ापा, दिव्यांग और विधवा पेंशन, राज्य कर्मियों को ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली, हर परिवार को तीन सौ यूनिट बिजली फ्री, 25 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज, सात लाख लोगों को सौ-सौ गज के प्लाट, जिन्हें पहले प्लाट मिल चुके हैं, उन्हें अपने घर में किचन, बाथरूम और शौचालय बनाने के लिए साढ़े तीन लाख रुपये, किसानों को फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, तत्काल फसल मुआवजा, क्रीमीलेयर की अधिकतम सीमा छह लाख से बढ़ाकर दस लाख करने जैसे न जाने कितने वायदे किए गए हैं। आज जब भाजपा ने अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी किया है, तो पता लगा कि उसने प्रदेश के मतदाताओं से कांग्रेस से तीन गुना यानी 20 वायदे किए हैं।
सभी महिलाओं को लक्ष्मी लाडो योजना के तहत इक्कीस सौ रुपये, चिरायु-आयुष्मान योजना में सभी परिवारों को दस लाख रुपये तक मुफ्त इलाज, पांच लाख युवाओं को रोजगार के अवसर या नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन योजना के तहत मासिक स्टाइपेंड, पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर देने जैसे सैकड़ों वायदे किए गए हैं। आज से कोई दस साल पहले इस तरह के लोकलुभावन वायदे करने की शुरुआत नई नई गठित हुई आम आदमी पार्टी ने की थी।
पानी फ्री, बिजली फ्री, शिक्षा फ्री, चिकित्सा फ्री जैसी रेवड़ियां बांटकर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में ऐतिहासिक सफलता हासिल की थी। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के दिग्गज नेताओं ने इसे चुनावी रेवड़ियों की संज्ञा दी थी। चुनावी रेवड़ियों यानी फ्रीबीज की आलोचना करते प्रधानमंत्री मोदी थकते नहीं थे। आज वही भाजपा हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावी रेवड़ियां बांटने में सबसे आगे खड़ी दिखाई देती है। कुछ दिनों पहले सत्तर साल से ऊपर के लोगों को आयुष्मान योजना में मुफ्त इलाज कराने की सुविधा देने की घोषणा भी दोनों राज्यों में हो रहे चुनाव के मद्देनजर की गई है।
-संजय मग्गू