संदीप भूषण, देश रोजाना
नई दिल्ली। विंबलडन का वो मुकाबला तो हर टेनिस प्रशंसक के जेहन में ताजा होगा, जब 2010 में जॉन इस्नर और निकोलस माहुत के बीच परिणाम के लिए 11 घंटे से अधिक का इंतजार करना पड़ा था। मैच में इस्नर की जीत हुई और उन्हें भविष्य का सितारा कहा जाने लगा था। खेल के जानकारों ने यहां तक कह दिया था कि इस्नर में वो हुनर है जो राफेल नडाल और रोजर फेडरर को टक्कर दे सके। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया और इस बीच एक नए खिलाड़ी का उदय हुआ, जिसे अगले एक दशक तक बिग थ्री यानी नडाल और फेडरर के साथ जगह दी गई। वो खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि रोलां गैरो के 14 बार के चैंपियन को पीछे छोड़कर 23 ग्रैंडस्लैम अपने नाम कर इतिहास रचने वाला नोवाक जोकोविच हैं।
फ्रेंच ओपन 2023 की जीत ने नोवाक को इस खेल का सर्वोत्तम खिलाड़ी बना दिया है। 36 वर्षीय इस खिलाड़ी के नाम 10 ऑस्ट्रेलियन ओपन, सात विंबलडन, तीन यूएस ओपन और तीन फ्रेंच ओपन खिताब हैं। टेनिस इतिहास में हर ग्रैंडस्लैम कम से कम तीन बार जीतने वाले नोवाक पहले खिलाड़ी बन गए हैं और एक कैलेंडर वर्ष में सभी ग्रैंडस्लैम जीतने की राह पर हैं। रॉड लावेर के 1969 में किए गए इस कारनामे को कौन दोहरा पाता है, यह तो वक्त बताएगा लेकिन नोवाक के 23 ग्रैंडस्लैम जीत ने ब्रिग थ्री के तीसरे इक्के को बादशाह का दर्जा जरूर दिलाया है।याद करें उस दौर को जब टेनिस कोर्ट पर फेडरर और नडाल की तूती बोलती थी। किसी मैच में फेडरर तो किसी में नडाल चैंपियन बनते। किसी भी मुकाबले के फाइनल में बस ये दोनों ही दिखते। ऐसे में नोवाक ने दखल दी और दोनों को अपने खेल का लोहा मनवा दिया।
यह कहना गलत नहीं कि नोवाक इस उपलब्धि को सिर्फ अपने जोरदार शॉट के सहारे शायद ही हासिल कर पाते। उन्होंने अपनी जिद और दुनिया भर के ताने व अपमान को हथियार बनाकर जोरदार प्रहार से छीना है।आज माहौल बदल चुका है और नोवाक की उपलब्धि को लोग सम्मान से नवाज रहे हैं, लेकिन हमें कोरोना का वो दौर और उसके बाद के वक्त को भी नहीं भूलना होगा जब उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। अपनी व्यक्तिगत राय की उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। कोरोना का टीका लेने से इनकार करने के बाद करीब तीन वर्षों तक उन्हें एक तरह से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा। कई ग्रैंडस्लैम में भाग नहीं ले सके। ऑस्ट्रेलिया खेलने पहुंचे तो उन्हें टूनार्मेंट से तो दूर रखा ही गया, देश छोड़ने के लिए भी मजबूर किया गया। ऑस्ट्रेलियाई प्रशंसकों के साथ दुनिया के कई देश के लोगों ने उन्हें बुरा-भला कहा। उन्हें अपमानित किया गया। हालांकि, अपने चारों तरफ की इसी नफरत और अपमान हथियार बनाकर नोवाक ने सफलता हासिल की।
इसी वर्ष जब कंगारूओं की धरती पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया ओपन अपने नाम किया तो उनसे नफरत करने वाले भी उनकी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाए। खेल जानकारों की मानें तो नोवाक की सफलता का राज ही उनके बेहतरीन शॉट्स के साथ नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मकता में बदलने की कला है। तभी तो पूर्व ग्रैंडस्लैम चैंपियन जिम कूरियर कहते हैं कि नोवाक को जो एक चीज खास बनाती है वो है अपने आसपास की ऊर्जा का पूरी तरह और सकारात्मकता से इस्तेमाल। वह नकारात्मक ऊर्जा का उपयोग खुद को रिचार्ज करने, अपने भीतर के आग को भड़काने के लिए करते हैं। जब भी प्रशंसक उन पर हमला करते हैं, वह उसे आग के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में किसी भी खिलाड़ी के लिए उन्हें हराना या उनके मनोबल को गिराना बेहद कठिन है। उम्मीद है कि नोवाक ने 23 ग्रैंडस्लैम के साथ लोगों के दिलों में सकारात्मक जगह बना ली होगी। साथ ही बिग्र थ्री के अपने दो साथियों से आगे निकलने की राह में कई कीर्तिमान गढ़ने की ओर भी बढ़ चुके हैं। फेडरर रिटायर हो चुके हैं और नडाल लगातार चोट से जूझ रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे कोर्ट पर अब ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएंगे। ऐसे में 36 वर्ष के नोवाक से पास अभी कम से कम चार-पांच वर्ष हैं। इन वर्षों में उनसे तीन-चार ग्रैंडस्लैम की उम्मीद तो की ही जा सकती है।