अफगानिस्तान की महिलाएं अब मॉरलिटी पुलिस नामक डंडे से हांकी जाएंगी। ठीक उसी तरह जिस तरह चरवाहे गाय, भैंस, भेड़, बकरी को हांकते हैं। मुझे तो इस बात की भी अब आशंका होने लगी है कि जल्दी ही बांग्लादेश में भी महिलाओं की यही दशा होने वाली हैं क्योंकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और उसके सहयोगी संगठनों से प्रतिबंध हटा लिया है। 15 अगस्त 2021 को जब अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार काबिज हुई, तो उसने सबसे पहले महिलाओं की स्वतंत्रता छीन ली। अपने पहले ही आदेश में फरमान जारी कर दिया कि महिलाएं अब स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालयों में नहीं पढ़ेंगी। इसके खिलाफ हजारों महिलाओं ने आवाज उठाई तो उनको जेल में डाल दिया गया। साल 2022 में तालिबानी शासन के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने शरिया कानून लागू करने का फरमान जारी किया था। अब तालिबानी शासन ने उसे कानून बनाकर अफगानिस्तान की करोड़ों महिलाओं पर थोप दिया है।
नए कानून के मुताबिक अफगानी महिलाएं घर के बाहर पूरा शरीर ढक कर निकलेंगी। अफगानिस्तान की मॉरलिटी (नैतिक) पुलिस इस बात की जांच करेगी कि महिलाओं का आचरण शरिया कानून के मुताबिक है या नहीं। घर के बाहर उनके जोर से बोलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। वैसे तो अफगानी औरतों को बाहर बोलना ही नहीं है, यदि बहुत जरूरी हो, तो वे फुसफुसाकर मरी हुई आवाज में अपनी बात रख सकती हैं। वे घर या बाहर गाना भी नहीं गा सकती हैं यानी महिलाओं से मनोरंजन का अधिकार भी छीन लिया गया है। पढ़ने-लिखने और अपने करियर बनाने का अधिकार तो पहले ही छीना जा चुका है। उनके कपड़े एकदम ढीले-ढाले होंगे। यदि टाइट कपड़े पहने कोई महिला दिखी, तो मॉरलिटी पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
गैर मर्दों से अपना चेहरा और शरीर छिपाना होगा। उससे बातचीत तो कतई संभव नहीं है। घर के किसी पुरुष के बिना वह अकेली बाजार भी नहीं जा सकती है। नए शरिया कानून में पुरुषों को भी नहीं बख्शा गया है। उन्हें इस्लामी कपड़े पहनने होंगे और पश्चिमी परिधान से तौबा करेंगे। वे टाई भी नहीं लगा सकते हैं। कोई भी पुरुष यदि किसी दूसरी महिला के साथ बात करता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह एक अजीब सनक है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे तमाम देशों में जहां अब खुलापन आ रहा है।
महिलाओं और पुरुषों को बराबर मानकर समान नियम कायदे कानून बनाए जा रहे हैं। रूढ़िवादी परंपराओं से मुक्ति पाने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं ईरान, अफगानिस्तान जैसे तमाम देशों में कानून शरिया के मुताबिक तय किए जा रहे हैं। यह महिलाओं के प्रति किया जा रहा घोर अपराध है। इस्लाम में स्त्री और पुरुष को समान स्वतंत्रता की वकालत की गई है। फिर वे कौन लोग हैं जो महिलाओं के सारे अधिकार छीनकर उन्हें भेड़-बकरी की तरह हांकना चाहते हैं। ऐसी स्थितियां उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो किसी धर्म विशेष के नाम पर अपने देश को चलाना चाहते हैं।
-संजय मग्गू