पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के संस्थापक योगगुरु बाबा रामदेव(Patanjali Ramdev: ) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ अवमानना कार्यवाही को समाप्त कर दिया है।
Patanjali Ramdev: माफीनामे को स्वीकार किया गया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने बाबा रामदेव और उनकी कंपनी की ओर से प्रस्तुत किए गए माफीनामे को स्वीकार कर लिया है। अदालत ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसे भ्रामक विज्ञापनों से बचने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि हलफनामे के सभी निर्देशों का पालन पूरी तरह से किया जाए।
27 फरवरी को जारी किया गया था नोटिस
इस मामले की शुरुआत भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका से हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव ने कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ दुष्प्रचार किया। अदालत ने इस आरोप के आधार पर 27 फरवरी 2024 को पतंजलि आयुर्वेद और बालकृष्ण को नोटिस जारी किया।21 नवंबर 2023 को, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के वकील से आश्वासन प्राप्त किया कि भविष्य में कंपनी किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करेगी, विशेषकर विज्ञापन और ब्रांडिंग के मामले में। इसके बावजूद, पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन में उल्लंघन पाए जाने के कारण कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया और रामदेव और पतंजलि को कारण बताओ नोटिस भेजा।
‘भविष्य में भ्रामक विज्ञापन बर्दाश्त नहीं’
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फटकार लगाते हुए कहा कि भविष्य में किसी भी तरह का भ्रामक विज्ञापन या कानून का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद, पतंजलि आयुर्वेद और रामदेव को अपनी प्रचार गतिविधियों में पूरी तरह से पारदर्शिता और विधिक अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।
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