केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने (Patel Shah:) मंगलवार को कहा कि सरदार बल्लभ भाई पटेल की विरासत को मिटाने और कमजोर करने के प्रयास किए गए, और उन्हें लंबे समय तक भारत रत्न से वंचित रखा गया। शाह ने पटेल की जयंती से पहले ‘रन फॉर यूनिटी’ दौड़ को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि यह देश के पहले गृह मंत्री की दूरदर्शिता और सूझबूझ के कारण ही संभव हो सका कि 550 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय हुआ और देश एकीकृत हुआ।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल (Patel Shah:) के प्रयासों से लक्षद्वीप, जूनागढ़, हैदराबाद और अन्य सभी रियासतों का भारत में विलय हुआ। शाह ने यहां मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “लेकिन सरदार पटेल की विरासत को मिटाने और कमजोर करने के प्रयास किए गए। उन्हें भारत रत्न से भी लंबे समय तक वंचित रखा गया।”उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे) केवड़िया में पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित कर उन्हें उचित सम्मान दिया। सरदार पटेल को 1950 में उनके निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
शाह ने (Patel Shah:) कहा कि देश के लोग अब एकजुट हैं और उन्होंने 2047 तक भारत को एक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। उन्होंने कहा, “वर्ष 2047 तक भारत सभी मापदंडों पर दुनिया का अग्रणी देश होगा।”गृह मंत्री ने कहा कि ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन आमतौर पर पटेल की जयंती यानी 31 अक्टूबर को किया जाता है, लेकिन इस वर्ष दिवाली के कारण इसे दो दिन पहले आयोजित किया गया। उन्होंने कहा, “आज धनतेरस है और हम इस शुभ अवसर पर दौड़ का आयोजन कर रहे हैं।” मोदी सरकार 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मना रही है। पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद में हुआ था।