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Political crisis in Nepal: नेपाल में गहराया राजनीतिक संकट, क्या बच पाएगी प्रचंड की सरकार

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Political crisis deepens in Nepal: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में एक बार राजनीतिक संकट (Political crisis in Nepal) खड़ा हो गया है। इस संकट को खड़ा करने में पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का बड़ा रोल है। बता दें कि ओली नेपाल की राजनीति में ‘पलटूराम’ के नाम से भी मशहूर हैं। उनकी छवि ऐसी है कि उन पर कोई भी पार्टी भरोसा नहीं करती। ताजा मामला यह है कि ओली सत्तारूढ़ गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले सकते हैं।

Political crisis in Nepal: देउबा से मिले ओली

दरअसल, ओली ने 2024 की शुरुआत में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया था। ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल नेपाली कांग्रेस बाहर हो गई थी। इसके बाद से ही चर्चा का दौर चालू हो गया था कि ये सरकार कब तक चलेगी इसका पता नहीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता शेर बहादुर देउबा ने ओली से मुलाकात की है। इसके बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि ओली और देउबा मिलकर नई सरकार (Political crisis in Nepal)  बना सकते हैं। इससे प्रचंड सरकार पर खतरा बढ़ गया है। खबर यह भी है कि इन दोनों के बीच गठबंधन की बात तय हो चुकी है।

पद से इस्तीफा नहीं देंगे प्रचंड

राजनीतिक संकट (Political crisis in Nepal) के बीच खबर है कि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के सचिव गणेश शाह ने बताया है कि पार्टी पदाधिकारियों की मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक हुई। इसमें प्रचंड ने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने के बजाय संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे।

तीन बार विश्वास मत हासिल कर चुके हैं प्रचंड

बता दें कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल के दौरान संसद में तीन बार विश्वास मत हासिल किया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब नेपाल के दो सबसे बड़े दलों – नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने प्रधानमंत्री प्रचंड को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक नई ‘राष्ट्रीय सर्वसम्मति सरकार’ बनाने के लिए आधी रात को एक समझौता किया।

क्या है नेपाल के प्रतिनिधि सदन में पार्टियों का आंकड़ा

बात दें कि नेपाल के प्रतिनिधि सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं। वहीं, सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। दोनों दलों की संयुक्त संख्या 167 है जो 275 सदस्यीय सदन में बहुमत के 138 सीट के आंकड़े के लिए पर्याप्त है।

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