भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (RAGHURAM RAJAN: )ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
RAGHURAM RAJAN: कहा, आवश्यक कदमों के बारे में आलोचकों से जानकारी जुटानी चाहिए
राजन ने कहा कि सरकार का वस्तु एवं सेवा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना अच्छी बात है, लेकिन इस काम को सही ढंग से अंजाम देना भी महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “इरादा अच्छा है। बुनियादी ढांचा जैसे कुछ क्षेत्रों में हमने बहुत कुछ किया है जो उपयोगी रहा है, लेकिन हमें अन्य क्षेत्रों के बारे में भी जांच करनी होगी।”उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों में आवश्यक कदमों के बारे में आलोचकों से जानकारी जुटानी चाहिए और उसके हिसाब से काम करना चाहिए। उन्होंने कारोबारी सुगमता को बेहतर करने की भी वकालत की और इसे एक पैकेज बताते हुए कहा कि यह आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देता है।राजन ने कहा, “अगर हम उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मुझे लगता है कि इससे ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा मजबूत होगी।” वर्तमान में अमेरिका स्थित शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के प्रोफेसर राजन ने कहा कि सरकार को कारोबारियों से उनके सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में पूछना चाहिए, सिर्फ विश्व बैंक के कारोबारी सुगमता से जुड़े बिंदुओं पर ही नहीं चलना चाहिए।
RAGHURAM RAJAN: सात प्रतिशत की दर से बढ़ने पर भारत निकल जाएगा जापान से आगे
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को अपनी नीति की आलोचना को यह कहकर खारिज नहीं करना चाहिए कि इसमें कुछ निहित स्वार्थ या कोई छिपा हुआ एजेंडा है। भारत को इस दशक में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के पर्याप्त होने के सवाल पर राजन ने कहा, “यदि हम सात प्रतिशत की दर से बढ़ते हैं, तो हम दो-तीन वर्षों में जर्मनी और जापान से आगे निकल जाएंगे। यह कोई असंभव बात नहीं है।”
पी वी नरसिम्हा राव की सरकार को बताया सबसे अधिक सुधारवादी
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, “सबसे ज़्यादा चिंता की बात यह है कि जब हम विकसित राष्ट्र कहते हैं तो इसका क्या मतलब है? यह भी एक बदलता हुआ पैमाना है। इसके अलावा हम 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए उच्च वृद्धि कहां से उत्पन्न करेंगे?” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस सवाल पर कि क्या मौजूदा गठबंधन सरकार आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ा सकती है, राजन ने कहा कि गठबंधन की राजनीति अधिक आम सहमति को मजबूर कर सकती है, जिसके लिए ‘अधिक सजग, अधिक संवेदनशील और चतुर सरकार’ की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक सुधारवादी सरकार पी वी नरसिम्हा राव की थी, जिसे भारी बहुमत हासिल नहीं था, लेकिन उसने सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए कई सहयोगी दलों को एक साथ लाने का काम किया।मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सबसे जरूरी सुधार के बारे में पूछे जाने पर राजन ने कहा कि सबसे अधिक जरूरत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की है।