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HomeEDITORIAL News in Hindiराज महल भी तो एक सराय ही है

राज महल भी तो एक सराय ही है

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दुनिया क्या है? अध्यात्म में इसको एक सराय की उपमा दी गई। वैसे यह बात सही है कि इस दुनिया में कोई भी आदमी हो, मरने के बाद अपने साथ कुछ नहीं लेकर जाता है। अध्यात्म में भले ही कुछ कहा गया हो, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि शरीर की ऊर्जा का खत्म होना ही मृत्यु है।

प्रकृति के पदार्थों से बना शरीर अपना रूप परिवर्तित करके इसी प्रकृति में समाहित हो जाता है। यही मृत्यु है। इस बात को एक साधु ने एक अहंकारी राजा को बड़ी सरलता से समझाया। एक समय की बात है। एक राजा को अपनी धन-संपदा पर बहुत गर्व था। वह अपने घमंड में ही चूर रहता था। इसके चलते उस राज्य के पड़ोसी राजा भी उस घमंडी राजा को पसंद नहीं करते थे।

एक बार घमंडी राजा के राज्य से होकर एक साधु जा रहा था। उसने राजा के बारे में सब कुछ सुन रखा था। उसने राजा को सबक सिखाने की सोची और पहुंच गया राजमहल। वह दरबार पर मौजूद पहरेदारों को धकियाता हुआ राजमहल के अंदर पहुंचा और राजा से बोला कि मैं आज इस सराय में विश्राम करूंगा। राजा को गुस्सा आ गया। उसने कहा कि महात्मा जी, यह मेरा राजमहल है। कोई सराय नहीं है। आप यहां कैसे रह सकते हैं?

आप कहीं और जाकर विश्राम कीजिए। यह बात सुनकर साधु ने कहा कि पहले यह राजमहल किसका था? राजा ने कहा कि मेरे पिता का। इस पर फिर साधु ने पूछा, तुम्हारे पिता से पहले किसका था? राजा ने कहा कि मेरे दादाजी का। साधु ने मुस्कुराते हुए कहा कि जिस तरह लोग सराय में आते हैं, कुछ दिन रहकर चले जाते हैं, उसी तरह आपके पुरखे भी यहां आकर रहे और चले गए। यह सराय ही तो है। यह सुनकर राजा की आंखें खुल गईं और वह साधु के पैरों पर गिर पड़ा।

-अशोक मिश्र

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