Rare Brain-Eating Amoeba: केरल में फिर एक दुर्लभ बीमारी फैल रही है। मस्तिष्क के दुर्लभ संक्रमण ‘अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस‘ से ग्रस्त 14 वर्षीय बालक की यहां एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। यह संक्रमण दूषित जल में पाए जाने वाले जीवित अमीबा के कारण होता है।
Rare Brain-Eating Amoeba: तीन मामले आ चुके हैं सामने
केरल के स्वास्थ्य विभाग ने बृहस्पतिवार को बताया कि मृदुल नामक बालक की मृत्यु बुधवार रात करीब 11:20 बजे हुई। दक्षिणी राज्य में मई से लेकर अब तक इस घातक संक्रमण (Rare Brain-Eating Amoeba) का यह तीसरा मामला है। पहली घटना 21 मई को मल्लपुरम में पांच वर्षीय बच्ची की मौत की थी। दूसरी घटना में 25 जून को कन्नूर में 13 वर्षीय बालिका की मृत्यु हो गई थी।
स्वास्थ्य विभाग ने क्या कहा
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक बच्चा यहां एक छोटे तलाब में नहाने गया था, और अब एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि मुक्त रहने वाले गैर परजीवी अमीबा (Rare Brain-Eating Amoeba) के बैक्टीरिया जब दूषित पानी से नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तो यह संक्रमण होता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लोगों को ‘अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस’ को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है। इससे पहले यह बीमारी 2023 और 2017 में राज्य के तटीय अलप्पुझा जिले में देखी गई थी।
क्या है अमीबिक मेनिंगोएन्सेफ़लाइटिस
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफ़लाइटिस (Rare Brain-Eating Amoeba) एक दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण है। यह नेगलेरिया फ़ाउलेरी नाम के सूक्ष्म अमीबा के संक्रमण से होता है। इस अमीबा को आम तौर पर “दिमाग खाने वाला अमीबा” कहा जाता है। यह संक्रमण मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट कर देता है। इसके ज़्यादातर मामलों में मस्तिष्क में गंभीर सूजन के बाद मृत्यु हो जाती है। पीएएम की मृत्यु दर बहुत ज़्यादा है और अध्ययनों में 99% तक की केस-मृत्यु दर की रिपोर्ट की गई है। लक्षणों की शुरुआत से मृत्यु तक का औसत समय 5.3 दिन (1 से 12 दिनों की सीमा) और जोखिम से मृत्यु तक का औसत समय 9.9 दिन (6 से 17 दिनों की सीमा) होता है।