भारतवर्ष एक ऐसा अद्भुत देश है जहां चंद्रयान छोड़े जा रहे हों, विकास की नित नई गाथाएं लिखने के दावे किये जा रहे हों। उसी देश में आधुनिक व वैज्ञानिक दौर में अंधविश्वास व पाखंड से भरी ऐसे अनेक खबरें आये दिन सुनाई देती हैं जिन्हें देख पढ़कर रूह काँप जाती है। इंसान यह सोचने के लिए मजबूर हो जाता है कि धर्म-आस्था व अंधविश्वास के इस घालमेल ने मनुष्य को कितना क्रूर, अमानवीय व हिंसक बना दिया है?
रोज कहीं न कहीं गांव-मोहल्ले के बलशाली लोग किसी न किसी गरीब परिवार के किसी व्यक्ति को खासकर महिला को चुड़ैल, भूतनी या डायन बताकर उस पर मनमाना अत्याचार करते हैं। किसी की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है तो किसी को रस्सियों या लोहे की जंजीरों से जकड़कर किसी पेड़ से बाँध दिया जाता है। उसे भूखा प्यासा रखकर प्रताड़ित किया जाता है। ऐसी अनेक पीड़िताओं के साथ दुष्कर्म भी किये जाते हैं। ऐसे मामलों में नाममात्र कार्रवाई भी होती है। इस देश में जितना न्याय किसी गरीब को मिलता है, यहां भी उतना ही न्याय किसी पीड़ित व प्रताड़ित व्यक्ति को भी मिलता है अर्थात नाममात्र या बिल्कुल नहीं।
इसी अंधविश्वास की श्रेणी में आती है तांत्रिक विद्या। इस विद्या पर भी धर्म व अन्धविश्वास का जामा चढ़ाकर हमारे देश में जमकर हैवानियत का खेल खेला जा रहा है। इसी की आड़ में बलात्कार, हत्या, धन ऐंठना, ब्लैक मेलिंग आदि न जाने क्या क्या हो रहा है। शत प्रतिशत झूठ व पाखंड पर आधारित तांत्रिक विद्या का इतना बड़ा प्रभाव क्षेत्र है कि प्राय: पढ़े लिखे लोग यहां तक कि मंत्री व अधिकारी भी किसी न किसी लालचवश इस जाल में फँस जाते हैं। देश में ऐसे तमाम तांत्रिक हुए हैं जिनकी पहुँच सत्ता के सर्वोच्च शिखर तक भी रही है। चूँकि इस तरह की अंधविश्वास, झूठ व पाखंड पूर्ण विद्याओं को विज्ञान कोई महत्व नहीं देता, इसमें किसी तरह की नाम मात्र तार्किकता और तर्कशीलता नहीं होती,
इसलिए झूठ आधारित इस स्वयंभू विद्या को जड़ मूल से समाप्त करने में ही हमारे समाज का भला है। बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि चुड़ैल, भूतनी या डायन तथा तांत्रिक विद्या के चक्करों में सदियों से उलझे हमारे देश की सरकारें भी इस ‘नासूर’ रूपी अन्धविश्वास और पाखण्ड से देश को निजात नहीं दिला सकीं।
इसका कारण भी बड़ा रोचक है। दरअसल सरकारें और इसमें शामिल तमाम शातिर नेता चाहते भी यही हैं कि देश की भोली भाली जनता इन्हीं बे सिर पैर की बातों में उलझी रहे। अंधविश्वास में डूबी रहे। विज्ञान, तर्क और शिक्षा की बात ही न करे। तंत्र मन्त्र और छू मन्तर के बल पर अपनी समस्याओं का समाधान तलाशे। ऐसा करने से अन्धविश्वास को बढ़ाने व संरक्षण देने वाले तमाम निठल्ले लोगों को रोजगार मिल जाता है। ऐसे लोगों पर धर्म की अफीम का गहरा रंग चढ़ता है। बाद में यही लोग 80 करोड़ लाभार्थियों की श्रेणी में आकर उस सत्ता के एहसानमंद होते हैं जिसने उन्हें मुफ़्त में राशन देने का वादा किया है।
सत्ता के इस स्वार्थ और लोगों को अशिक्षित रखने के चलते इस देश में कुछ ऐसी घटनाएं भी हो जाती हैं जिससे हमारे देश की न केवल बदनामी होती है, बल्कि दुनिया यह भी सोचने के लिए मजबूर हो जाती है कि चंद्रयान छोड़ने वाले देश में आखिर हो क्या रहा है? मिसाल के तौर पर गत दिनों कानपुर देहात के घाटम पुर इलाके के भदरस गांव की एक क्रूरतम घटना को लेकर एक अदालती फैसला आया जिसने तीन वर्ष पूर्व यानी 14 नवंबर 2020 की भयावह घटना की याद फिर ताजा कर दी। दरअसल कानपुर देहात के घाटम पुर इलाके के भदरस गांव में 14 नवंबर 2020 को छह वर्ष की एक मासूम बच्ची का अपहरण कर पहले उसके साथ रेप किया गया फिर उसकी हत्या कर दी गई थी।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
-निर्मल रानी