अब जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। हार-जीत की सबने लगभग समीक्षा भी कर ली है। हरियाणा में भाजपा, कांग्रेस, जजपा और इनेलो ने अपनी कमियों और खूबियों को तलाशना शुरू कर दिया है। पार्टी नेताओं ने इस बात का आकलन करना शुरू कर दिया है कि उनकी पार्टी या प्रत्याशी से कहां और क्या गलती हुई? वे कौन से मुद्दे या फैसले थे जिनकी वजह से उन्हें जीत या हार मिली। यह अच्छी परंपरा है कि जब कोई दल सफल होता है या विफल, वह अपनी उपलब्धि या विफलता के कारणों की पहचान करता है। हरियाणा में तो ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है कि तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं।
2 नवंबर 2024 को वर्तमान विधान सभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा। निश्चित रूप से इससे पहले ही विधानसभा के चुनाव होंगे। अब इतना कम समय बचा है कि सभी राजनीतिक दलों को आगामी विधानसभा चुनाव में यदि जीत हासिल करनी है, तो उसे अभी से ही जुट जाना होगा। अपने पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाने के लिए जरूरी है कि बिना कोई पल गंवाए विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाया जाए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बैठक करके प्रदेश के विधायकों से फीडबैक भी लिया है। इस बार प्रदेश की दस लोकसभा सीटों में से सिर्फ पांच पर ही भाजपा को सफलता मिली है। पांच सीटों पर हार के कारणों की पहचान की जा रही है।
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कारणों को पहचान कर उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन भाजपा सरकार के सिर पर अल्पमत होने का खतरा भी मंडरा रहा है। हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से मनोहर लाल और रणजीत चौटाला विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं। राकेश दौलताबाद की हृदयाघात से मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में शेष बचे 87 सीटों में से बहुमत के लिए 44 विधायकों का समर्थन चाहिए। अभी जो हालात हैं, उसके मुताबिक भाजपा के पास कुल मिलाकर 42 विधायक ही हैं। सरकार बचाए रखने के लिए भाजपा को दो और विधायकों का समर्थन चाहिए।
ऐसे में सैनी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने भी कोशिश करनी शुरू कर दी है। राजनीतिक हलकों में तो कहा यह जा रहा है कि अगले हफ्ते से कांग्रेस सैनी सरकार को घेरने के लिए बड़े स्तर पर कदम उठाने जा रही है। उसे हाईकमान की हरी झंडी भी मिल गई है। कांग्रेस की कोशिश है कि यदि किसी तरह संभव हो, तो सैनी सरकार को गिराकर राष्ट्रपति शासन लागू करा लिया जाए, ताकि तीन महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान एंटी इंकमबैंसी का फायदा उठाकर प्रदेश में सरकार बनाई जा सके। कांग्रेस ने भी भाजपा की तरह अपने कार्यकर्ताओं को अभी से सक्रिय हो जाने का निर्देश दिया है।
-संजय मग्गू
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