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सच्चे संत-महात्मा चमत्कारी होने का दावा कतई नहीं करते

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हाथरस के फूलरई गांव में दो जुलाई को दोपहर में हुए हादसे में हरियाणा की पांच महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी। उत्तर प्रदेश के आईजी शलभ माथुर के अनुसार फरीदाबाद की चार और पलवल की एक महिला हाथरस में मची भगदड़ के दौरान मारी गई हैं। हालांकि, पलवल और फरीदाबाद की महिलाओं का आगरा में पोस्टमार्टम होने के बाद शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं और उनके अंतिम संस्कार भी किए जा चुके हैं। सरकार ने अब तक जिन 121 लोगों की मौत की पुष्टि की है, उनमें 111 महिलाएं, सात बच्चे और तीन पुरुष शामिल हैं। हाथरस में हुई महिलाओं की मौत का यह आंकड़ा बताता है कि मंगलवार को सत्संग के समय सबसे ज्यादा संख्या में वहां महिलाएं मौजूद थीं।

हमारे देश में अब तक जितने भी ऐसे दुखद हादसे हुए हैं, उनमें सबसे ज्यादा जान गंवाने वालों में महिलाएं ही रही हैं। इसका कारण यह है कि हमारे देश में बाबाओं और उनके चमत्कार पर विश्वास करने में महिलाएं ही सबसे आगे हैं। इसका कारण उनका धर्मभीरू होना भी है। अपने धर्म और संस्कृति पर जितनी प्रबल आस्था और विश्वास महिलाओं का होता है, उतना पुरुषों का नहीं होता है। पुरुष स्वभावत: हर बात को गंभीरता से लेने का आदी नहीं होता है, लेकिन महिलाएं स्वभावत: नर्म दिल की होती हैं। जिस पर उनकी आस्था होती है, तो वह पूरे मन से उसको मानती हैं। यही वजह है कि धर्म के नाम पर अपनी दुकान खोलने वाले पाखंडी बाबा सबसे पहले महिलाओं को अपना निशाना बनाते हैं। उनके अनुयायी और सेवादार बाबा के चमत्कार की कहानियां सुना सुनाकर महिलाओं को आकर्षित करते हैं, उसके बाद होने वाले सत्संग, धार्मिक प्रवचन जैसे समारोहों में आने को प्रोत्साहित करते हैं।

महिलाएं एक अच्छी प्रचारक भी होती हैं, यह बात ऐसे लोग जानते हैं। यही वजह है कि वे महिलाओं को अपना भक्त बनाने में ज्यादा रुचि लेते हैं। जो वास्तविक अर्थों में संत, महात्मा या धर्माचार्य हैं, वे इस तरह के उपायों को नहीं अपनाते हैं। वे चमत्कार नहीं दिखाते हैं। वे बस धर्म के बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं, अच्छे कार्यों को करने की प्रेरणा देते हैं और सत्कर्म करने का आह्वान करते हैं। ऐसा नहीं है कि वास्तविक संत-महात्मा या धर्माचार्य किसी तरह का आयोजन नहीं करते हैं, धर्म के प्रचार प्रसार के लिए जो कुछ भी हो सकता है, वे सब कुछ करते हैं। लेकिन दूसरे धर्म के प्रति दुष्प्रचार नहीं करते हैं, अपने को परमात्मा नहीं बताते हैं। वे इस बात का कतई दावा नहीं करते हैं कि भगवान से उनका संपर्क है। वे धन लाभ करवा देंगे, असाध्य रोगों को ठीक कर देंगे। लेकिन पाखंडी संत-महात्मा जरूर ऐसे दावे करते फिरते हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।

-संजय मग्गू

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