अब जब आचार संहिता हट चुकी है और विधानसभा चुनाव होने में सिर्फ तीन महीने ही बचे हैं, ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार उन मुद्दों पर ध्यान देगी जिसकी वजह से उसे लोकसभा चुनावों में पांच सीटों का नुकसान हुआ है। भितरघात और कार्यकर्ताओं का असंतोष तो भाजपा संगठन और प्रदेश सरकार का आंतरिक मामला है। इसे भाजपा को अपने स्तर पर ही निपटाना होगा, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिसको लेकर आम जनता और विपक्षी दलों ने चुनाव के दौरान खूब उछाला था। वह है महंगाई और बेरोजगारी। सरकार ने युवाओं की नाराजगी दूर करने के लिए सरकारी विभागों में नई भर्तियां करने का फैसला किया है। यही वजह है कि एक दिन पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष के पद पर हिम्मत सिंह को शपथ दिलाई है। अब हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग सुचारू रूप से काम कर सकेगा और नई भर्तियों की दिशा में आगे कदम बढ़ा सकेगा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने घोषणा की है कि प्रदेश के सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पचास हजार पदों पर जल्दी ही भर्तियां की जाएंगी। युवाओं को ग्रुप डी की नौकरियां जल्दी दी जाएंगी। भाजपा सरकार का दावा है कि उनके शासन काल में जितनी भी भर्तियां हुई हैं, वे बिना किसी पर्ची या खर्ची के हुई हैं। भर्तियों में भ्रष्टाचार खत्म कर दिया गया है, जब पूर्ववर्ती सरकारों में बिना पर्ची या खर्ची के कोई भर्ती होती ही नहीं थी। अब प्रदेश सरकार का दावा कितना सही है, यह तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यह सही है कि विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सरकारी और गैर सरकारी संगठनों में भर्तियां तेज होने की उम्मीद है।
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प्रदेश सरकार औद्योगिक घरानों से यह अपील कर सकती है कि वे अपने यहां भर्तियां खोलें और अधिक से अधिक युवाओं को नौकरियां दें। यही नहीं, प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए तमाम सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। वैसे भी सरकार ने स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं के लिए पहले से ही कई योजनाएं चला रखी हैं। बैंक भी स्वरोजगार के लिए बड़ी उदारता से ऋण प्रदान कर रहे हैं। इसके बावजूद यह सच है कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी है। हरियाणा में वर्ष 2013-14 में बेरोजगारी दर 2.9 प्रतिशत थी जो 2021-22 में नौ प्रतिशत पर पहुंच गई है।
पिछले आठ सालों में बेरोजगारी की दर तीन गुना बढ़ गई है। विपक्षी दल दावा तो यह भी करते हैं कि प्रदेश की बेरोजगारी दर पूरे देश में सबसे ज्यादा है। हो सकता है कि विपक्षी दलों के नेताओं की बात में कुछ अतिश्योक्ति हो, लेकिन यह भी सच है कि प्रदेश में बेरोजगार बहुत है। इसे दूर करने की जरूरत है। यदि प्रदेश सरकार बेरोजगारी घटाने में सफल रहती है, तो विधानसभा चुनाव में जरूर सफलता मिलेगी।
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