Serial Bomb Blast Case Verdict: साल 1993 में पांच बड़े शहरों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट मामले के फैसला में अजमेर (Ajmer) की टाडा कोर्ट ने करीम टुंडा को बरी कर दिया है। करीम को इस हमले का मुख्य आरोपी बताया जाता है इसके अलावा अन्य आरोपी इरफान (Irfan) और हमीदुद्दीन (Hameeduddin) को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda) इतने बड़े हमले का मास्टरमाइंड कैसे बना –
देश में वर्ष 1993 में पांच बड़े शहरों में सीरियल ब्लास्ट (Serial blast) की वारदात को अंजाम दिया गया था। अब करीब 30 साल बाद इस मामले में गुरुवार यानी आज अजमेर टाडा कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है जिसकी चारों और चर्चा हो रही है। दरअसल, 6 दिसंबर 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सिलसिले वार बम विस्फोट किया गया था जिसमें तीनों आरोपी टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन को गिरफ्तार किया गया था। जिसमें से अब आरोपी अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda) को कोर्ट ने बरी कर दिया है। टुंडा (Tunda) के बरी होने के बाद अभियोजन पक्ष में निराशा का माहौल है जिसे लेकर उनका कहना है कि वह अजमेर कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
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कौन है अब्दुल करीम टुंडा (Abdul Karim Tunda)
टुंडा (Tunda) का जन्म 1943 में पुरानी दिल्ली के साधारण से परिवार में छत्तालाल मियां के घर हुआ था। पिता लोहे की ढलाई का काम करते थे। टुंडा की गलत हरकतों की वजह से पिता ने पुरानी दिल्ली छोड़ने का मन बनाया और गाजियाबाद जिले के पिलखुआ में रहने लगे। यहां टुंडा (Tunda) अपने भाइयों के साथ बढ़ई का काम करने लगा। टुंडा शादीशुदा है उसकी शादी जरीना नामक महिला से हुई थी। शहर बदलने के बाद भी टुंडा कई-कई दिनों तक घर से गायब रहता था। वर्ष 1981 में वह अपनी पत्नी जरीना को छोड़कर लापता हो गया था।
टुंडा के खिलाफ कई मामले दर्ज
आंतक की दुनिया में टुंडा (Tunda) का नाम भी बेहद सुर्ख़ियों में बना हुआ है। उसके खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में कई मामले दर्ज है जिनमें से दिल्ली में 21 और गाजियाबाद के थानों में 13 मामलें दर्ज हैं। इतना ही नहीं टुंडा के पाकिस्तान में आईएसआई से ट्रेनिंग लेने की बात भी सामने आई है। इसके खिलाफ पहला आपराधिक मामला 1956 में चोरी का दर्ज हुआ था। उस समय इसकी उम्र बेहद कम थी। लेकिन टुंडा के कारनामे बढ़ते गए। मुंबई के डॉक्टर जलेश अंसारी, नांदेड के आजम गोरी और टुंडा ने तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन संगठन बनाकर बाबरी विध्वंस का बदला लेने के लिए 1993 में पांच शहरों में ट्रेनों में बम ब्लास्ट किए थे।
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