हरियाणा की राजनीती में अपनी छाप छोड़ने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल की पुत्रवधु किरण चौधरी ने हरियाणा कांग्रेस का साथ छोड़ अपना रास्ता अलग कर लिया है और बीजेपी का दामन थाम लिया है। किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने के पीछे का कारण लोकसभा चुनाव में उनकी बेटी श्रुति को टिकट नहीं मिलने बताया जा रहा है लेकिन क्या इसके पीछे कोई भी कारण है आइये जानते है –
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद हरियाणा में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। ऐसा माना जा सकता है कि किरण चौधरी अपनी नाराज़गी को अपने अंदर दबाए बैठी सिर्फ इस दिन का ही इंतज़ार कर रही थी वैसे तो किरण चौधरी इस बार के चुनाव में अपनी बेटी श्रुति चौधरी को टिकट न मिलने से नाराज थी लेकिन जब उन्हें लगा कि कांग्रेस नेताओं पर इसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है तो उन्होंने पार्टी को छोड़ देना ही सही समझा। आज कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने अपनी बेटी श्रुति चौधरी जोकि पूर्व सांसद और हरियाणा कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष रही के साथ बीजेपी का हाथ थाम कर भगवा पटका धारण कर लिया है। किरण के कांग्रेस छोड़ने की वजह को लेकर हरियाणा कांग्रेस की चर्चा हो रही है आइये कुछ बिंदुओं से समझते है –
1 – हरियाणा में दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कांग्रेस में बढ़ता कद और दखलंदाज़ी इसका सबसे बड़ा कारण है। लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में हुड्डा की छाप साफ नजर आई।
2 – चुनावों के बाद अब हरियाणा में कांग्रेस नेतृत्व जाट-दलित को साथ लाकर वोटों का नया समीकरण गढ़ने की रणनीति पर काम कर रहा है। पार्टी के पास हुड्डा जैसा बड़ा जाट चेहरा पहले से ही है किरण भी जाट समाज से आती हैं ऐसे में जाट पॉलिटिक्स के मैदान में हुड्डा के सामने पार्टी में किरण चौधरी को उनको उतनी तरजीह मिलती नजर नहीं आई जितनी उनको उम्मीद थी।
3 – किरण चौधरी ने अपनी ज़िन्दगी के 40 साल कांग्रेस को दिए उनकी बेटी श्रुति चौधरी महेंद्रगढ़-भिवानी लोकसभा सीट से 2009 में सांसद रही हैं। 2014 और 2019 में भी वह इस सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार थीं लेकिन दोनों बार चुनाव हार गई जिसकी वजह से इस बार पार्टी ने उनपर विश्वास न जताते हुए हुड्डा के करीबी विधायक राव दान सिंह को टिकट दिया। टिकट काटने से किरण चौधरी नाराज थी।
4 – बीजेपी ने किरण चौधरी की नाराज़गी का बखूबी फायदा उठाया है बीजेपी को हरियाणा में एक बड़े जाट चेहरे की जरूरत थी इसलिए उन्होंने किरण चौधरी को तरजीह दी क्यूंकि बीजेपी जाट पॉलिटिक्स के मामले में हरियाणा में उतनी मजबूत नहीं है लोकसभा चुनावों के दौरान जगह-जगह बीजेपी को लेकर जाट और किसान की नाराजगी साफ़ देखने को मिली।