प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संविधान की 75 वर्ष की यात्रा को असाधारण बताया, देश को तीसरी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर बताया
PM नरेंद्र मोदी ने भारतीय संविधान की 75 वर्षों की यात्रा को ‘असाधारण’ करार देते हुए यह कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। यह बयान प्रधानमंत्री ने शनिवार को लोकसभा में संविधान के 75 वर्षों के गौरवशाली सफर पर चल रही चर्चा का जवाब देते हुए दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से भारतीय संविधान ने देश को एक नई दिशा और ताकत दी है। उन्होंने कहा, ‘‘75 साल की यह यात्रा असाधारण है। जब देश आजाद हुआ और उस समय भारत के लिए जो-जो संभावनाएं व्यक्त की गई थीं, उन सभी संभावनाओं को नकारते हुए, भारत का संविधान हमें आज यहां तक ले आया है।’’
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत अब बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है। उन्होंने 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प को भी रेखांकित किया, जिसमें उनका उद्देश्य स्वतंत्रता की शताब्दी तक भारत को एक विकसित देश बनाना है।
मोदी ने संविधान निर्माताओं के साथ-साथ देश के नागरिकों को इस असाधारण उपलब्धि के लिए ‘‘आदरपूर्वक नमन’’ किया। उन्होंने कहा कि यह संविधान की ही देन है कि उन्हें तीन बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन संविधान के प्रति देशवासियों की निष्ठा और समर्थन निरंतर बना रहा।
कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस यात्रा के दौरान कांग्रेस ने संविधान की भावना को कई बार चोट पहुंचाई। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के एक परिवार ने पचपन साल तक देश पर शासन किया और हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है।’’ प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि 1951 में उन्होंने अध्यादेश के जरिए संविधान को बदला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया, जो संविधान निर्माताओं का अपमान था।
प्रधानमंत्री ने भारत की विविधता को देश की विशेषता बताते हुए कहा कि इस विविधता का उत्सव मनाने की बजाय कुछ लोग इसमें विरोधाभास ढूंढते हैं और देश की एकता पर चोट करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संविधान की भावना का ही हिस्सा था और देश की एकता को प्राथमिकता देते हुए इसे स्थायी रूप से खत्म कर दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के हनन की भी आलोचना की और कहा कि विपक्षी दलों के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी लोकतंत्र की चर्चा होगी, तो कांग्रेस के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था।’’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संविधान निर्माताओं की तपस्या को मिट्टी में मिलाने की कोशिश की गई थी, जो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारतीय गणराज्य का अतीत हमेशा से प्रेरणादायक रहा है और इसलिए भारत को लोकतंत्र की जननी के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस विशेष अवसर पर, जब संविधान के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, देश में एक महिला राष्ट्रपति आसीन हैं, जो संविधान की भावना के अनुरूप हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण भारतीय संविधान के प्रति सम्मान और देश की बढ़ती ताकत का प्रतीक था, और उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक मंच पर एक प्रमुख शक्ति बनेगा।