Gukesh: भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश (Gukesh) ने 18 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने सिंगापुर में रोमांचक खिताबी मुकाबले के 14वें और अंतिम राउंड में चीन के गत चैंपियन डिंग लिरेन को हराया। यह जीत भारतीय शतरंज के लिए एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है और महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे बढ़ाने वाला पल है। आनंद के बाद गुकेश विश्व खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने हैं।
गुकेश (Gukesh) ने 14 बाजियों के इस क्लासिकल फॉर्मेट में 7.5 अंक अर्जित किए, जबकि लिरेन 6.5 अंकों पर सिमट गए। मुकाबले का अंतिम राउंड ज्यादातर समय ड्रॉ की ओर जा रहा था, लेकिन लिरेन की एक चूक ने बाजी का रुख बदल दिया। मैच में खिलाड़ियों के पास अंतिम चरण में एक रूक और बिशप बचे थे। 55वीं चाल में लिरेन की गलती का गुकेश ने तुरंत फायदा उठाया। तीन चालों के भीतर बाजी खत्म हो गई, और लिरेन ने हार स्वीकार कर ली। इस जीत के साथ गुकेश ने 25 लाख डॉलर की इनामी राशि में से 13 लाख डॉलर अपने नाम किए।
चेन्नई के रहने वाले गुकेश (Gukesh) ने अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद कहा, “यह वह पल है जिसका मैंने पिछले 10 सालों से सपना देखा था। मुझे खुशी है कि मैंने इसे हकीकत में बदल दिया। जीत की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मुझे मौका मिला और मैंने इसे भुनाया।” जीत के बाद गुकेश का चेहरा मुस्कान से खिला हुआ था, और उन्होंने अपनी बाहें ऊपर उठाकर जश्न मनाया।
बृहस्पतिवार को खिताबी मुकाबला शुरू होने से पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बाजी टाईब्रेकर तक जाएगी। लेकिन गुकेश ने अपनी सूझबूझ और शांत रणनीति से धीरे-धीरे स्थिति मजबूत की। लिरेन की एकाग्रता में आई मामूली चूक ने उन्हें खिताब से दूर कर दिया।
गुकेश (Gukesh) की इस जीत ने गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने 1985 में 22 साल की उम्र में विश्व खिताब जीता था। गुकेश कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने विश्वनाथन आनंद की देखरेख में अपनी प्रतिभा को निखारा। आनंद, जिन्होंने अपने करियर में पांच बार यह प्रतिष्ठित खिताब जीता है, चेन्नई में अपनी शतरंज अकादमी में गुकेश के मेंटर रहे।
14 बाजियों की सीरीज में गुकेश ने तीसरे और 11वें राउंड में जीत हासिल की थी, जबकि लिरेन ने शुरुआती बाजी और 12वीं बाजी जीती थी। शेष बाजियां ड्रॉ रहीं। यदि बृहस्पतिवार की बाजी भी ड्रॉ हो जाती, तो शुक्रवार को टाईब्रेकर में विजेता का फैसला होता।
गुकेश ने कहा, “हर शतरंज खिलाड़ी इस सपने को देखता है। मुझे गर्व है कि मैं इसे जी रहा हूं।” उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने भारत को गर्व करने का एक और मौका दिया है और शतरंज में देश की ताकत को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है।