शंकर जालान
कोलकाता, 29 नवंबर। पश्चिम बंगाल में ट्रेन हादसे (Elephant accident) में तीन हाथियों की मौत होने के बाद फिर इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर कब तक ट्रेन हादसों में हाथियों की मौत होती रहेगी ? इस पर लगाम कब लगेगी ? आखिर कब थमेगा ट्रेन चपेट में आकर मरने वाले हाथियों का सिलसिला ? हालांकि ट्रेन दुर्घटना में हाथियों की मौत रोकने के लिए ट्रेन चालकों को सतर्क कराया गया है। रेलवे अधिकारियों को भी निगरानी करने का निर्देश है। रेलवे ट्रैक पर हाथी देखे जाने पर वन और रेलवे विभाग उस जानकारी का आदान-प्रदान करेंगे, लेकिन इन तमाम फैसलों के बावजूद ट्रेन की टक्कर से हाथियों की मौत को रोका नहीं जा सका है।
Elephant accident : दो महीने में तीन हाथियों की मौत
पिछले अगस्त में देश में ट्रेन की चपेट (Elephant accident) में आने से एक हाथी की मौत हो गई थी। दो महीने के भीतर फिर तीन हाथियों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। वन व पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2009 से 2021 तक देश में 186 हाथियों की मौत हो गई। असम में सबसे अधिक 62 मौतें हुईं, उसके बाद पश्चिम बंगाल में 57 मौतें हुईं।
2019-2021 में 45 हाथियों की मौत
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा कि 2019 से 2021 तक ट्रेन की टक्कर से 45 हाथियों की मौत हो चुकी है। जहां से हाथी गुजरते हैं, वहां ट्रेनों की गति सीमा तय होती है। कहीं 25 किलोमीटर प्रति घंटा तो कहीं 40-45 किलोमीटर।
आरोप है कि कई मामलों में उस नियम का भी पालन नहीं किया जाता है। हाथी विशेषज्ञों का कहना है कि हाथी आमतौर पर एक जगह से दूसरी जगह जाना पसंद करते हैं। उनके पास भी जाने का रास्ता है यदि सड़क लोगों द्वारा अवरुद्ध कर दी जाए या वहां से कोई ट्रेन गुजर जाए, तो ऐसा ही होगा। जंगली जानवरों के प्रति न्यूनतम जागरूकता की आवश्यकता है।
भारतीय रेलवे ने पिछले अगस्त में घोषणा की थी कि वे हाथियों की मौत से बचने के लिए 77 करोड़ रुपए खर्च कर ट्रेनों में घुसपैठ जांच प्रणाली (आईडीएस) लगाएंगे। ट्रेन चालकों को मामले से अवगत कराया जाएगा।