साल 2023 ने तकनीक के क्षेत्र में काफी तरक्की की। हालांक, उसने यह भी बता दिया कि तकनीक के क्षेत्र में हमारे बढ़ते कदम पर कानूनी अंकुश की जरूरत है। डीपफेक (Deepfake) के मामले ने एक तरफ दुनियाभर में सूर्खियां बटोरीं तो, वहीं चिंतित भी किया है। साथ ही साबित हो गया कि इंटरनेट पर दिखने वाला हर कंटेंट सत्य हो या वस्तविक हो।
लोस चुनाव पर भी हो सकता है प्रभाव
2023 में राजनीति से लेकर फिल्मों और यहां तक कि युद्ध में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश (AI) का जमकर गलत इस्तेमाल हुआ है। इसके बढ़ते मामलों ने इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है। आशंका है कि डीपफेक (Deepfake) के माध्यम से चुनाव और मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश हो।
क्या है डीपफेक?
‘डीपफेक’ (Deepfake technology) में तकनीक के माध्यम से एक वीडियो में छेड़छाड़ कर किसी ऐसे व्यक्ति के चेहरे को उसमें फिट किया जाता है जो उस वीडियो का हिस्सा ही नहीं होता। इस तकनीक के माध्यम से छेड़छाड़ कर बनाए गए वीडियो में असली और नकली का अंतर बता पाना मुश्किल होता है। ‘डीपफेक’ के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति के बारे में गलत सूचना फैलने और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है।
डीपफेक ने छेड़ दी नई बहस
अमेरिका स्थित वेब सुरक्षा सेवा कंपनी ‘होम सिक्योरिटी हीरोज’ की ‘2023 स्टेट ऑफ डीपफेक रिपोर्ट’ के अनुसार, 2019 के बाद से ‘डीपफेक’ (Deepfake) वीडियो में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है। भारत में इस साल ‘डीपफेक’ वीडियो से जुड़े कई मामले देखने को मिले जैसे कि एक वीडियो में ब्रितानी भारतीय सोशल मीडिया ‘इन्फ्लूंजर’ के चेहरे की जगह अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का चेहरा लगा दिया था। इस घटना ने ‘डीपफेक’ के प्रभाव को लेकर देशभर में बहस छेड़ दी और निजता के हनन एवं इससे हो सकने वाले नुकसान को लेकर चिंताएं पैदा कर दीं। ‘
आलिया, काजोल सहित कई अभिनेत्रियां हुईं शिकार
केवल मंदाना ही नहीं, बल्कि आलिया भट्ट, काजोल, ऐश्वर्या राय और कैटरीना कैफ जैसी कई अन्य फिल्म अभिनेत्रियों के चेहरे इस्तेमाल कर ‘डीपफेक’ (Deepfake) वीडियो बनाए गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एआई के उपयोग को लेकर कुछ महीने पहले आगाह करते हुए कहा था कि ‘डीपफेक’ वीडियो बड़े संकट का कारण बन सकते हैं और समाज में असंतोष पैदा कर सकते हैं। उन्होंने मीडिया से इसके दुरुपयोग को लेकर जागरुकता बढ़ाने और लोगों को शिक्षित करने का आग्रह किया था।
अचानक बढ़ा डीपफेक का इस्तेमाल
उच्चतम न्यायालय के वकील और साइबर सुरक्षा कानून पर अंतरराष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष पवन दुग्गल ने कहा, ‘‘यह एक नई उभरती हुई प्रौद्योगिकी है लेकिन बहुत तेजी से लोगों के जीवन का हिस्सा बन रही है। न केवल साइबर अपराधी, बल्कि चुनावी प्रक्रियाओं समेत सभी प्रकार की मानवीय गतिविधियों में बड़ी संख्या में लोग ‘डीपफेक’ (Deepfake) का उपयोग कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि केवल रश्मिका मंदाना, कैटरीना कैफ या आलिया भट्ट जैसे लोग ही इसका शिकार होंगे। हमें जल्द ही यह महसूस होगा कि इंटरनेट के सामान्य उपयोगकर्ता भी ‘डीपफेक’ का शिकार होंगे। कई अश्लील (पॉर्नोग्राफिक) वेबसाइट पर पहले ही कई ‘डीपफेक वीडियो’ हैं। यह एक बड़ी चुनौती बनने वाली है।’’
विधानसभा चुनाव में हुआ डीपफेक का इस्तेमाल
भारत में चुनावों में डीपफेक (Deepfake) उपयोग की आशंका चिंता का विषय है। हाल में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान ‘डीपफेक’ वीडियो से न केवल नेताओं को निशाना बनाया गया, बल्कि सार्वजनिक विमर्श को प्रभावित करने का भी प्रयास किया गया। वाई एस शर्मिला और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसी सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाने वाले ‘डीपफेक’ वीडियो चुनावी राजनीति के लिए संभावित खतरे के रूप में उभरे। अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर स्थिति की गंभीरता ने कानून निर्माताओं और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है।