जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) आगामी आम चुनावों में बहुमत खोने के खतरे का सामना कर रही है। रविवार को होने वाले इस महत्वपूर्ण चुनाव में एलडीपी और उसकी सहयोगी पार्टी कोमितो के लिए 465 में से 233 सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी होगा, लेकिन बहुमत पाना मुश्किल लग रहा है। जापान के सार्वजनिक टेलीविजन ‘एनएचके’ के अनुसार, मतदाताओं में कथित वित्तीय घोटालों को लेकर नाराजगी है, जिसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री का पद संभालने के तुरंत बाद इशिबा ने यह चुनाव कराए, ताकि अपने पूर्ववर्ती फुमियो किशिदा की हार के बाद जनता का समर्थन दोबारा हासिल कर सकें। इशिबा का कहना है कि चुनाव के नतीजे उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं, और मतदाता सरकार से अपनी जिम्मेदारियों पर विचार करने की उम्मीद करते हैं। यदि एलडीपी बहुमत से चूक जाती है, तो गठबंधन सरकार तो बन सकती है, लेकिन नीतियों को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
इस चुनाव में कुल 1,344 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 314 महिलाएं हैं। इशिबा और उनकी सहयोगी पार्टी कोमितो का लक्ष्य 233 सीटें बनाए रखने का है। हालांकि, एनएचके के सर्वेक्षणों के मुताबिक उन्हें केवल 153 से 219 सीटें मिलने की संभावना है। सबसे बड़े विपक्षी दल कंस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता योशिहिको नोडा को इस चुनाव से फायदा मिल सकता है। नोडा ने इसे सरकार बदलने का एक दुर्लभ अवसर बताया।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर विपक्ष कमजोर रहता है, तो एलडीपी सबसे बड़ी पार्टी बनी रह सकती है। लेकिन वित्तीय घोटालों को लेकर बढ़ती नाराजगी एलडीपी को नुकसान पहुंचा सकती है। इस चुनाव को जापान के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि मतदाता अब नए नेतृत्व और सुधारों की उम्मीद कर रहे हैं।