भारत में तलाक के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसा पूरी दुनिया में हो रहा है। तनाव ने तो पूरी दुनिया पर कब्जा कर लिया है। तनाव की कोई एक किस्म नहीं है। ईएमआई भरनी है, बच्चे की फीस देनी है, नौकरी खोजनी है, जैसे न जाने कितने तनाव हैं जिसको झेलते-झेलते आदमी आजिज आ जाता है। दौड़ते-भागते हुए लगता है कि जैसे हम कहीं खो से गए हैं। हमारा व्यक्तित्व ही लापता हो गया है। इन तनावों ने रिश्तों को भी प्रभावित किया है।
पति को कमाने से फुरसत ही नहीं है, पत्नी भी यदि गृहणी है, तो बाल-बच्चों, नाते-रिश्तेदारियों में उलझी है। यदि कामकाजी है, तो उसके सामने भी वही समस्याएं हैं जो पति के सामने हैं। जीवन किसी साइक्लोन की तरह हो गया है। समस्याएं तूफान बनकर सब कुछ निगलने को आतुर हैं। हां, इस बीच कभी कभार मन में ज्वार-भाटा उठा, तो मिल लिए थोड़ी देर के लिए और मामला खत्म। प्रेम जैसी अनुभूति अब बची ही नहीं। जो कुछ साल पहले थी। बच्चे बड़े हो रहे हैं, जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही हैं।
अब बैठकर प्रेम रस तलाशूं या जिम्मेदारियां निभाऊं। यही अनुभूति तो उस तरफ भी हो सकती है। लाइफ पार्टनर भी तो कह सकता है कि अब रस ही नहीं रहा। करें तो क्या करें? अरे! रस नहीं है, तो रस की उत्पत्ति कीजिए। पत्नी बारिश के दौरान बाहर रस्सी पर टंगे कपड़े उतारने गई है, तो आप कम से कम छाता तानकर खड़े तो हो सकते हैं। यदि आप उस समय घर में मौजूद हैं। बीवी सब्जी काट रही है, तो आप थोड़ी सी मदद ही कर दीजिए। कुछ नहीं तो थोड़ी सी छेड़छाड़ के लिए आपको किसने मना किया है।
मजाकिया चुटकुले तो सुना ही सकते हैं। दोनों की थोड़ी सी सम्मिलित हंसी जीवन में मधुरता ला सकती है जो जीवन में विलुप्त हो गई है। उम्र कोई भी हो, बस प्रेम ही हर किस्म के तनाव से निपटने, हालात से लड़ने की शक्ति देता है। थोड़ी सी शर्मिली मुस्कान पूरा दिन बना सकती है। आप अपने जीवन साथी के साथ गुजारने के लिए तनाव भरे दिन से छोटे-छोटे पल चुराना तो शुरू कीजिए, तब देखिए जिंदगी किस तरह गुलजार होती है। आपको लगेगा कि आपने अपने अस्तित्व को एक बार फिर खोज लिया है। इसकी पहल भी आपको ही करनी होगी।
अगर आप अपने पार्टनर से पहल की उम्मीद करते हैं, तो फिर करते रहिए जीवन भर इंतजार। कोई भी आपके जीवन के उस खाली हिस्से को नहीं भर सकता है। इस खाली स्थान को भरना तो आप दोनों को ही है। जो लोग जीवन में हास्य के, मधुरता के पल चुराना नहीं जानते हैं, उनके संबंधों में ही दरार पैदा होती है। वही अपने मामले को तलाक की देहरी तक ले जाते हैं। तलाक किसी समस्या का हल नहीं है। समस्या का एकमात्र हल है आपसी सामंजस्य और प्रेम। अपने भीतर प्रेम का उजाला फैलने तो दीजिए, मन प्रसन्न हो जाएगा। इस आनंद को महसूस करने के लिए जरूरी है कि सारी समस्याओं को दरकिनार कर बस अपने और अपने जीवन साथी के बारे में सोचिए।
-संजय मग्गू