बजट पेश होने में कुछ दिन रह गए हैं। समाज के सभी वर्ग बजट से उम्मीद लगाए बैठे हैं। भारत भर में बुजुर्गों की देखभाल में जुटे कई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने सरकार से आम बजट में देश के वरिष्ठ नागरिकों (Senior citizens in budget) की जरूरतों पर ध्यान देने का आग्रह किया।
‘ऐजवेल फाउंडेशन’ और ‘हेल्पऐज इंडिया’ जैसे संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए व्यापक प्रस्तावों की एक रूपरेखा तैयार की और बुजुर्गों (Senior citizens in budget) को वित्तीय समर्थन, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने की तत्काल जरूरत को रेखांकित किया। राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन में केंद्र सरकार के योगदान की समीक्षा की भी मांग की गई है।
पेंशन बढ़ाने की मांग
एनजीओ मौजूदा समय में मिलने वाली प्रतिमाह 200 से 500 रुपये की पेंशन राशि को बढ़ाने और इसे 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों (Senior citizens in budget) के लिए कम से कम एक हजार रुपये और 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए प्रतिमाह 1500 रुपये करने की वकालत कर रहे हैं। राज्य सरकार के अंशदान के जुड़ने पर राष्ट्रीय न्यूनतम पेंशन 1500 से 3000 रुपये प्रति माह हो जाएगी जोकि राज्य की राजकोषीय क्षमता पर निर्भर होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्गों (Senior citizens in budget) की आजीविका को बढ़ाने के लिए गैर सरकारी संगठनों ने देश भर में बुजुर्ग स्वंय सहायता समूह (ईएसएचजी) मॉडल को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इस पहल का उद्देश्य गांव में रहने वाले बुजुर्गों के लिए वित्तीय, सामाजिक और डिजिटल समावेशन में सुधार करने के साथ-साथ राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एनयूएलएम) के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बुजुर्गों को भी इसी तरह का समर्थन प्रदान करना है।
‘एजवेल फाउंडेशन’ ने बुजुर्गों (Senior citizens in budget) को लाभ पहुंचाने के लिए कर-संबंधी कई उपायों की अपील की है, जिनमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए मूल आयकर छूट सीमा को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने, 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले बुजुर्गों के लिए पेंशन को कर-मुक्त बनाने और धारा 80सी और 80टीटीबी के तहत कर कटौती को बढ़ाकर 75 हजार रुपये करना शामिल है।
इसके अलावा संगठनों ने आमतौर पर बुजुर्गों द्वारा उपयोग की जाने वाली आवश्यक सेवाओं और उत्पादों जैसे वयस्क डायपर, दवाइयों और स्वास्थ्य देखभाल उपकरणों पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर)छूट की भी मांग की है।