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केंद्रीय बजट ने हरियाणा के किसानों और एमएसएमई को दी संजीवनी

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संजय मग्गू
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को 50.65 लाख करोड़ रुपये का केंद्रीय बजट पेश किया। केंद्रीय बजट पेश होने के बाद से ही इस पर विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं और आकलन शुरू हो गए। हर राज्य के अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ इस बात का आकलन करने बैठ गया कि उनके राज्य को इस बजट से कितना फायदा हुआ। प्रदेश की जनता को केंद्रीय बजट से क्या हासिल हुआ। केंद्रीय बजट में कुछ ऐसी भी योजनाएं हैं जिनका लाभ कमोबेस सभी राज्यों को मिलेगा। जैसे किसानों के लिए शुरू की गई धन-धान्य योजना को ही लीजिए। इस योजना के जितने भी पात्र किसान हरियाणा में होंगे, उन सबको इस योजना का लाभ मिलेगा। ठीक ऐसा ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों में होगा। कहने का मतलब यह है कि आबादी और योग्य पात्र के हिसाब से सभी राज्यों को इसका फायदा मिलेगा। केंद्रीय बजट पेश होने के बाद एक मोटा-मोटी अनुमान लगाया जा रहा है कि हरियाणा के लगभग 31 लाख किसानों को धन-धान्य योजना से लाभ होगा। बजट में किसान क्रेडिट कार्ड के ऋण की सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दी गई है। अब प्रदेश में जितने भी किसान क्रेडिट कार्डधारक किसान हैं, वे अपनी जरूरत के मुताबिक पांच लाख रुपये तक ऋण ले सकते हैं। उन्हें अपनी फसल में डालने के लिए खाद चाहिए, कृषि यंत्र चाहिए या अन्य कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें किसी का मुंह ताकने की जरूरत नहीं है। वह अपना केसीसी से सरकार से लोन ले सकते हैं। हरियाणा में करीब 27 लाख किसान क्रेडिट कार्डधारक हैं। केंद्र सरकार ने कपास की उत्पादकता में सुधार के लिए पांच साल की समय सीमा तय की है। इसका भी लाभ हरियाणा के किसानों को मिलना तय है। उद्योग क्षेत्र में केंद्रीय बजट से लाभ पहुंचेगा। केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को ऋण देने की सीमा पांच करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ कर दी है। इससे हरियाणा के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग अपनी जरूरतों के लिए सीधे सरकार से लोन ले सकते हैं। अपने कारोबार को आगे बढ़ा सकते हैं। एक आंकड़ा बताता है कि हरियाणा में दस लाख कारोबारी एमएसएमई के दायरे में आते हैं। इसमें से भी 97 प्रतिशत कारोबारी सूक्ष्म श्रेणी में हैं। अब इन उद्योगों को अपनी लागत पूंजी बढ़ाकर थोड़ा बड़े पैमाने पर कारोबार करने के लिए एक तरह से आसान रास्ता मुहैया करा दिया है। पीएम स्वनिधि योजना के तहत प्रदेश के लगभग पांच लाख स्ट्रीट फूड वेंडर्स को फायदा होगा। इन्हें अपना बिजनेस शुरू करने के लिए तीस हजार रुपये का लोन दिया जाएगा। इतनी पूंजी में वह अपना स्ट्रीट फूड कारोबार की शुरुआत अच्छी तरह से कर सकते हैं।

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