संजय मग्गू
ग्रीनलैंड, पनामा नहर और कनाडा के बाद अब अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गजा पर नियंत्रण की इच्छा जाहिर कर दी है। वह चाहते हैं कि गजा में रहने वाले 18 लाख लोगों को मिस्र और जार्डन में भेज देना चाहिए, ताकि गजा पर अमेरिका अपना नियंत्रण कर सके और गजा का पुनर्निर्माण करे। दस दिन पहले भी ट्रंप गजा को लेकर टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने गजा को ध्वस्त और नर्क क्षेत्र बताते हुए उसके पुनर्निर्माण की बात कही थी। उनका कहना है कि वह गजा को एक विकसित क्षेत्र बनाना चाहते हैं। ध्वस्त गजा का पुनर्निर्माण करना चाहते हैं, ताकि यहां पर दुनिया भर के लोग आकर रह सकें। ट्रंप के कहने का मतलब यह है कि वह यह चाहते हैं कि फलस्तीनी अपने मूल क्षेत्र से बिखर कर दुनियाभर में फैल जाएं और उनकी जगह पर कुछ फलस्तीनियों सहित दुनिया भर से लोग आकर बस जाएं। प्रकारांतर से अगर देखा-समझा जाए, तो ट्रंप एक तरह से इजरायल के ही पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं। रिपोर्टरों से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह संप्रभु गजा पर अमेरिकी अधिकार चाहते हैं। दरअसल, जब से दूसरी बार ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं, तब से वह एक उन्मुक्त और सब कुछ हड़प लेने के आकांक्षी व्यक्ति की तरह व्यवहार करने लगे हैं। ग्रेट अमेरिका का नारा लगाने वाले ट्रंप अपने देश के आगे किसी और देश के अस्तित्व को जैसे स्वीकार ही नहीं कर पा रहे हैं। ग्रीनलैंड, कनाडा और पनामा नहर उनकी आंखों में खटक रहे हैं। ग्रीनलैंड की अकूत खनिज संपदा पर उनकी निगाह पड़ चुकी है। इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के लिए उपलब्ध होने वाला कच्चा माल ग्रीन लैंड में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। उस पर अपना एकाधिकार ट्रंप चाहते हैं। यदि ट्रंप तनिक भी मानवीय दृष्टिकोण रखते तो किसी देश या उसके किसी हिस्से में रहने वाले लोगों को दूसरे देश में विस्थापित करने की बात नहीं सोचते। गजा क्षेत्र में रहने वाले 18 लाख फलस्तीनी अपनी संपूर्ण जमीन-जायदाद छोड़कर मिस्र और जार्डन में शरणार्थी जैसा जीवन जिये। संयुक्त राष्ट्र और मिस्र-जार्डन की दया और सहायता पर निर्भर हो जाएं। दुनिया के किसी भी देश का नागरिक देश की लाख विपरीत परिस्थितियों के बावजूद छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता है। अपना देश आखिरकार अपना ही होता है। गरीबी, बेकारी, भुखमरी जैसी समस्याओं को झेलने के बाद भी हर व्यक्ति को अपनी मातृभूमि से एक स्वाभाविक लगाव होता है, प्रेम होता है। किसी कारणवश दूसरे देश में रहने पर भी अपनी मातृभूमि की याद व्यक्ति को हमेशा सताती रहती है। यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। अपने फायदे के लिए ट्रंप 18 लाख लोगों को उनकी मातृभूमि से अलग करके शरणार्थी बना देना चाहते हैं। ट्रंप की इस योजना को मध्य पूर्व के देशों मिस्र, जॉर्डर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, फलस्तीनी प्राधिकरण और अरब लीग ने एक साझा बयान जारी करते हुए खारिज कर दिया है।
ट्रंप 18 लाख फलस्तीनियों को बनाना चाहते हैं दर-दर का भिखारी
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