राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद(Lalu caste census : ) ने मंगलवार को जाति जनगणना के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्ष इतना दबाव बनाएगा कि सरकार को जातिगत जनगणना करानी ही पड़ेगी। लालू प्रसाद की यह टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के उस बयान के बाद आई है जिसमें संघ ने कहा था कि उसे जातिगत आंकड़े एकत्र करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते इसका उपयोग जनकल्याण के लिए हो, न कि राजनीतिक उद्देश्य के लिए।
Lalu caste census : क्या कहा लालू प्रसाद ने
लालू प्रसाद ने सिंगापुर से नियमित जांच के बाद पटना लौटने के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “इन आरआरएस/भाजपा वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे। इनका क्या औकात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा। दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है।” लालू प्रसाद का गुर्दा प्रतिरोपण ऑपरेशन दिसंबर 2022 में सिंगापुर में सफलतापूर्वक हुआ था और वह नियमित जांच के लिए सिंगापुर गए थे। पटना लौटने के बाद उन्होंने यह पोस्ट किया।
तेजस्वी का आरोप, भाजपा सरकार जातिगत असमानता बनाए रखना चाहती है
राजद ने हाल ही में राज्यभर में धरने आयोजित किए, जिसमें बढ़े हुए आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने और देशव्यापी जाति जनगणना की मांग की गई। पटना में राजद नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को आरोप लगाया कि केंद्र और बिहार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार जाति जनगणना और आरक्षण के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बिहार में वंचित जातियों के लिए बढ़ाए गए आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे पर संसद और लोगों को गुमराह कर रही है। तेजस्वी यादव ने कहा, “केंद्र सरकार ने जानबूझकर जाति जनगणना को टालने का प्रयास किया है और बिहार में वंचित जातियों के आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने से इनकार किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा सरकार जातिगत असमानता को बनाए रखना चाहती है।”
जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक संवेदनशील मुद्दा: सुनील आंबेकर
राजद का यह रुख और लालू प्रसाद का बयान आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है, क्योंकि जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे पर दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब वर्गों की एकता को प्रदर्शित करने का समय आ चुका है। विपक्ष का उद्देश्य इस मुद्दे पर भाजपा को घेरना और दबाव डालना है ताकि सरकार को मजबूरन जातिगत जनगणना करनी पड़े।इससे पहले, आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा था कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है और यह राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यदि जातिगत आंकड़े कल्याणकारी कार्यों के लिए जुटाए जाते हैं, तो इसमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन इसका उपयोग केवल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं होना चाहिए।लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के इन बयानों से स्पष्ट है कि जाति जनगणना का मुद्दा आने वाले दिनों में और अधिक गरमा सकता है और विपक्ष इस पर केंद्र सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है।