रविवार, दिसम्बर 3, 2023
14.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

होमEDITORIAL News in Hindiबोधिवृक्ष: छत्रसाल की महानता

बोधिवृक्ष: छत्रसाल की महानता

Google News
Google News

- Advertisement -

औरंगजेब को पराजित करके बुंदेलखंड में स्वतंत्र राज्य स्थापित करने वाले छत्रसाल वीर और न्यायप्रिय राजा था। उनका जन्म 4 मई 1649 में बुंदेला राजपूत परिवार में हुआ था। उनका पूरा नाम छत्रसाल जूदेव बुंदेला था, लेकिन वे छत्रसाल के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके पिता चंपतराय जू देव बुंदेला परम प्रतापी और न्यायप्रिय शासक थे। जब वे अपने जीवन के संकटकाल से गुजर रहे थे, तभी छात्रसाल का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि छत्रसाल देखने में काफी सुंदर और आकर्षक थे। एक बार की बात है। उनके सुंदर और गठीले शरीर को देखकर एक युवती उन पर मोहित हो गई।

उसने सोचा कि यदि उसकी शादी छत्रसाल से हो जाती, तो वह धन्य हो जाती। उन दिनों छत्रसाल वेष बदलकर अपनी प्रजा के दुखों को जानने का प्रयास करते थे। जहां भी लोग उन्हें दुखी या परेशान दिखते, वे उसकी मदद करते थे। एक  दिन युवती ने छत्रसाल से कहा कि मैं बहुत दुखी हूं। मेरी समस्या का निदान नहीं हो रहा है। छत्रसाल यह सुनकर बहुत दुखी हुए। उन्होंने कहा कि मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं। इस पर युवती ने कहा कि मैं चाहती हूं कि मेरी आप जैसी संतान हो।

यह सुनते ही छत्रसाल सारी बात समझ गए। उन्होंने कहा कि पता नहीं, आपकी संतान मेरी जैसी हो या न हो, लेकिन आज से मैं आपका बेटा हुआ। आप मेरी मां हुईं आज से। छत्रसाल की बात सुनकर युवती को भान हुआ कि उसने कितनी गलत बात कह दी है। उसने छत्रसाल से क्षमा मांगी। लेकिन उसी दिन से छत्रसाल ने उस युवती को राजमाता का दर्जा दे दिया और जीवन पर्यंत उसे राजमाता का अधिकार मिलता रहा।

अशोक मिश्र

- Advertisement -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments