पिछले दिनों मध्यप्रदेश के एक शहर सीधी के पास घटित एक घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया। नीचता की, हैवानियत की हद है यह कि एक ब्राह्मण युवक ने आदिवासी युवक के चेहरे पेशाब कर दिया था। जब युवक यह कुकृत्य कर रहा था, तब किसी ने उसका वीडियो बना लिया। यह वीडियो वायरल हुआ तो स्वाभाविक है कि लोगों में गुस्सा भर गया। सभ्य समाज में ऐसी अमानवीय घटना की हम उम्मीद नहीं कर सकते, पर दुर्भाग्य की बात है कि शर्मसार कर देने वाली ऐसी अमानवीय घटनाएँ सामने आती रहती हैं। यह देख कर हम सोचने पर विवश होते हैं कि यह कैसी आधुनिकता है, जिसमें कुछ लोग आज भी पशुवत आचरण कर रहे हैं! कुत्तो को तो हमने देखा है, वे टांग उठा कर पेशाब करते हैं। वाहनों पर तो करते ही हैं , कभी-कभी इंसानों पर भी कर देते है, मगर जो लोग सोए हुए हैं, उन पर। सीधी में तो श्वान की तरह आचरण करने वाले युवक ने उस आदिवासी के मुंह पर पेशाब किया, जो आदिवासी उससे अपने काम के पैसे मांग रहा था। उसे पैसे देने के बजाय युवक ने नशे में धुत्त होकर सिगरेट पीते हुए उस पर पेशाब ही कर दिया!
इस घटना के पीछे युवक मानसिकता भी समझनी होगी। लेकिन आज भी कहीं-न-कहीं एक सामंती मानसिकता इस घटना के पीछे काम कर रही थी कि हम श्रेष्ठ हैं। आज भी समाज का तथाकथित पढा-लिखा एक वर्ग अपने आपको सुपर समझने की भूल कर रहा है। हम उच्च जाति के हैं या हम बड़े रईस हैं, इस मूर्खतापूर्ण बोध से भरे कुछ लोग आज भी आदिवासियों, दलितों, कमजोरों पर अत्याचार करते हैं। समय-समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। सीधी वाली घटना इसी मानसिकता का एक एकदम ताजा उदाहरण है।
राजनीति करने वाले भले ही राजनीति करते हुए यह आरोप लगाएं कि नशे में धुत्त होकर आदिवासी पर पेशाब करने वाला भाजपा के एक विधायक से जुड़ा हुआ है। लेकिन मैं सोचता हूँ, इस घटना का राजनीति से नहीं, मानसिकता से लेना देना है। मौका मिला है तो विपक्ष भाजपा पर आरोप लगाएगा ही, लेकिन असलियत यह है कि कुछ जाति धर्म के लोगों की मानसिकता ही दूषित और सामंती हो गई है।
वे अपने श्रेष्ठ होने के तथाकथित दम्भ से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं। उनकी चेतना में यह बात आ ही नहीं पा रही है कि ‘मनखे मनखे एक समान’। यानी सभी मनुष्य एक हैं। छतीसगढ़ के एक महान संत गुरु घासीदासजी ने बहुत पहले यही संदेश दिया था, हर महान संत और सुधारक यही संदेश देते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ लोग यह पाठ याद नहीं रख पाते और घिनौनी हरकत कर बैठते हैं। इस घटना के पीछे एक और चीज का बड़ा हाथ है और वह है शराब। नशे में व्यक्ति चेतनाशून्य हो जाता है।
तब वह धरती क्या आकाश में उड़ते हुए भी ऐसी हरकत कर सकता है। पिछले कुछ महीनों में दो घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं कि नशे में धुत्त एक यात्री ने दूसरे यात्री पर पेशाब कर दिया। लेकिन सीधी की घटना अब तक की सबसे गंभीर और पीड़ा पहुँचाने वाली घटना है। दोषी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उस पर रासुका लगना ही चाहिए। इस अपराध की सजा यही है कि दोषी जेल में सड़े। उसकी जमानत भी न हो। मध्य प्रदेश सरकार ने जन भावना के अनुरूप ही दोषी युवक पर कड़ी कार्रवाई कर दी, उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और उसके घर को बुलडोजर चला कर तोड़ भी दिया गया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी व्यक्ति के साथ किए गए जघन्य पाप का प्रायश्चित करने के लिए उस व्यक्ति के पैर पखारे। उस पानी को अपने माथे से भी लगाया। पीड़ित व्यक्ति को गले से लगाया और कहा कि तुम मेरे भाई हो। उससे बात की और उसने जो कुछ समस्या बताई , उसके समाधान का वचन भी दिया। मुख्यमंत्री ने बड़ा कलेजा दिखाया, चरण पखारे। विपक्ष इसे नाटक कह रहा है। लेकिन इस नाटक के लिए भी कलेजा चाहिए।
गिरीश पंकज