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Editorial: तेनालीराम ने किया न्याय

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देश रोज़ाना: राजा कृष्णदेव राय प्रजावत्सल थे। वह अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखते थे। वह अपने समय के सबसे न्यायप्रिय राजा थे। कहा जाता है कि वह खुद तेलुगू भाषा के अच्छे कवि थे। उनकी काव्य रचना अमुक्तमाल्यद साहित्यिक रत्न मानी जाती है। वह कवियों के बहुत बड़े संरक्षक भी थे। हास्यरस में प्रवीण तेनाली राम उनके दरबारी और मंत्री थे। दो महिलाओं द्वारा एक ही बालक की मां होने और उनके द्वारा न्याय किए जाने की कथा बहुत प्रचलित है। हालांकि ठीक यही कथा सोलोमन नाम के राजा के बारे में भी कही जाती है। इसका जिक्र बाइबिल में आया है। सच क्या है? यह तो इतिहासकार ही बता पाएंगे, लेकिन कथा कुछ इस प्रकार है। एक बार की बात है।

विजय नगर के राजा कृष्णदेव राय दरबार में बैठे थे, तभी दो महिलाएं एक दूसरे से लड़ती-झगड़ती दरबार में आईं। एक महिला की गोद में एक बच्चा था और दोनों उस बच्चे की मां होने का दावा कर रही थीं। राजा कृष्णदेव राय बहुत मुश्किल में पड़ गए। वे समझ नहीं पा रहे थे कि इस बच्चे की असली मां कौन है? वे न्याय करें, तो किस प्रकार करें। अपने राजा को दुविधा में देखकर तेनाली राम अचानक उठे और उन्होंने एक सैनिक से जल्लाद को बुलाकर लाने को कहा।

थोड़ी देर बाद जब जल्लाद आ गया, तो उन्होंने कहा कि जब यह फैसला नहीं हो पा रहा है कि बच्चा किसका है, तो इस बच्चे के दो टुकड़े कर दो और एक-एक टुकड़ा दोनों में बांट दो। यह सुनते ही एक महिला ने रोते हुए कहा कि नहीं महाराज! इस बच्चे को उसे दे दो। कम से कम बच्चा जीवित तो रहेगा। यह सुनते ही तेनाली राम ने दूसरी महिला को गिरफ्तार करने को कहा। उन्होंने कहा कि बच्चा इस महिला का है जिसने उसे टुकड़े करने से इनकार कर दिया है। कोई मां अपने बच्चे को मरता हुआ नहीं देख सकती है।

अशोक मिश्र

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