वैसे तो भारतीय राजनीति में दलबदल कोई नई बात नहीं है। लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ का भाजपा में जाना और कांग्रेस के खिलाफ बयान देना ताज्जुब करता है। पिछले कुछ सालों से तो हो यह रहा है कि रात में कांग्रेस, सपा, टीएमसी या अन्य दलों के नेता किसी दूसरी पार्टी में न जाने की कसम खाते हैं और अगले दिन सुबह भाजपा में पाए जाते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जाने की घटना ताजी है। नीतीश कुमार ने भी कभी कसम खाई थी कि मर जाऊंगा, लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा। भाजपा ने दावा किया था कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। लेकिन इसे इतिहास की विडंबना कहें या समय का फेर, नीतीश कुमार न केवल भाजपा के साथ गए, बल्कि भाजपा ने खुलेमन से उनका स्वागत भी किया।
ठीक ऐसी ही घोषणा कभी कांग्रेस के प्रवक्ता रहे गौरव वल्लभ ने भी की थी। वर्ष 2019 में झारखंड से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले गौरव वल्लभ से जब पत्रकारों ने कभी भविष्य में भाजपा में जाने की संभावना के बारे में पूछा था, तो उन्होंने बड़े दावे के साथ कहा था कि मुझे नहीं लगता कि कभी मैं भाजपा में जाऊंगा। अगर ऐसा होता, तो मैं एक ऐसी पार्टी को नहीं चुनता जिसकी लोकसभा में सिर्फ़ 44 सीटें हैं। कैमरे के सामने भाजपा में कभी नहीं जाने का सौ फीसदी दावा करने वाले गौरव वल्लभ पलट गए। उन्होंने कहा था कि विचारधारा के स्तर पर मेरे लिए चार चीजें महत्वपूर्ण हैं-लिबरल विचार, बौद्धिकता की ओर अग्रसर समाज, काम करने की आजादी और इन्क्लूसिवनेस। भाजपा में जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस पर सनातन विरोधी होने का आरोप लगाया है।
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राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस के नहीं जाने के फैसले से उन्होंने असहमति जताई है। वैसे इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि सबको अपना भविष्य सुरक्षित करने का हक है। यदि गौरव वल्लभ को अपना भविष्य भाजपा में दिखाई देता है, तो इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता है। झारखंड के जमशेदपुर पूर्वी और राजस्थान के उदयपुर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा का चुनाव हार चुके गौरव वल्लभ को यह उम्मीद हुई हो कि भाजपा में जाने पर संभव है, उन्हें लोकसभा का टिकट मिल जाए।
लोकसभा या विधानसभा चुनावों के दौरान एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने वालों की यही मंशा होती है कि जिस पार्टी में वे जा रहे हैं, वह उन्हें टिकट देगी। हो सकता है कि गौरव को इस बात का आभास हो गया हो कि इस बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिलेगा। या भाजपा ने उन्हें टिकट देने का आश्वासन दिया हो। अकसर देखा गया है कि जब कोई दलबदल करता है, तो वह अपनी पुरानी पार्टी की सारी पोल खोलकर रख देता है। अब देखना यह है कि गौरव वल्लभ कांग्रेस की कौन सी पोल खोलते हैं। लेकिन साहब, नैतिकता भी कोई चीज होती है। उसका भी कुछ न कुछ तकाजा होता है।
-संजय मग्गू
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