आठवीं शताब्दी में पैदा हुए मलिक दीनार के बारे में बहुत कम जानकारी है। यह माना जाता है कि हिंदुस्तान की सरजमीं पर सबसे पहले आने वाले सूफी संतों में मलिक दीनार का भी नाम लिया जाता है। इनकी मृत्यु भी कासरगोड में हुई थी। केरल राज्य के कासरोड जिले में मलिक दीनार नाम से एक मस्जिद है जिसमें उन्हें दफनाया गया था। जिस समय मलिक दीनार भारत आए थे, उस समय केरल के प्रसिद्ध चेर साम्राज्य के शासक चेरमान पेरुमल थे।
मलिक दीनार अपने समय के सबसे प्रसिद्ध सूफी संत और यात्री थे। वह अरब से भारत आए थे। मलिक दीनार शाकाहारी थे और वह सबसे बहुत प्यार से बात करते थे। हालांकि उन दिनों अरब देशों में मांसाहार का बहुत ज्यादा प्रचलन था। इसके पीछे भौगोलिक कारण भी थे। पेरुमल के राज्य में आने के बाद उन्होंने एक शहर में किराये पर मकान लिया। उन्हें आगे की यात्रा करने से पहले कुछ दिन वहां रुकना था। इससे उनका पड़ोसी नाराज हो गया। वह नहीं चाहता था कि एक सूफी संत उसके पड़ोस में रहे। इसलिए उसने उन्हें तंग करना शुरू कर दिया।
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पड़ोसी के घर से निकलने वाली नाली मलिक दीनार के घर के सामने से होकर गुजरती थी। वह उस नाली में मल-मूत्र बहा देता था ताकि मलिक दीनार उस घर को छोड़कर चले जाएं। जब भी नाली में गंदगी देखते मलिक दीनार उसे साफ कर देते। ऐसा अक्सर होने लगा, लेकिन उन्होंने इसकी शिकायत नहीं की। एक दिन वह आदमी उनके पास आया और आपको कोई तकलीफ तो नहीं है। मलिक बोले, नहीं। जब मैं गंदगी को देखता हूं, तो इसे अल्लाह का हुक्म मानकर साफ कर देता हूं। गुस्से पर काबू पाना और लोगों के कसूर को माफ करना हमें आता है। यह सुनकर वह व्यक्ति शर्मिंदा होकर लौट गया।
-अशोक मिश्र
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