राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मंडावली इलाके में एक मंदिर की रेलिंग को लेकर स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा किया। प्रशासन से पीडब्ल्यूडी ने शिकायत की थी कि उक्त मंदिर की रेलिंग विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाई गई है। जांच में आरोप सही पाया गया, जिस पर प्रशासन की टीम पुलिस बल के साथ अवैध रेलिंग हटाने के लिए मौके पर पहुंची थी, जहां स्थानीय नागरिकों ने नाहक ही बवाल काट दिया। हालांकि, प्रशासन की टीम रेलिंग हटाने में कामयाब हो गई, लेकिन इलाके का माहौल कुछ तनावपूर्ण हो गया। मालूम हो कि राजधानी में इन दिनों सरकारी जमीनों पर अवैध तरीके से बने धार्मिक स्थलों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। सिर्फ मंडावली नहीं, दिल्ली के लगभग हर इलाके में ऐसे धार्मिक स्थलों की भरमार है, जहां अनावश्यक रूप से सरकारी जमीन घेरकर उस पर निर्माण कर लिया गया।
चूंकि मामला धर्म से जुड़ा होता है, इसलिए इलाकाई पुलिस भी कुछ कहने-करने से अक्सर कतरा जाती है। ऐसे धार्मिक स्थलों के प्रबंधन को स्थानीय नेताओं का संरक्षण हासिल रहता है, इसलिए प्रशासन भी तब तक चुप्पी साधने में अपनी भलाई समझता है, जब तक पानी सिर से ऊपर नहीं गुजरने लगता। होता यह है कि धार्मिक स्थलों की आड़ में हुए अवैध निर्माण इलाकाई अराजक तत्वों की बैठकी के अड्डे बन जाते हैं, जो राहगीरों के लिए मुश्किलें खड़ी करते हैं।
यह समस्या सिर्फ दिल्ली की नहीं है, बल्कि देश भर में सरकारी जमीनों को अवैध रूप से हथियाने और उन्हें धार्मिक स्थल की शक्ल देने की कुप्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश में बसपा शासनकाल में यह नारा जगह-जगह सरेआम सुनने को मिलता था कि जो जमीन सरकारी है, वह जमीन हमारी है। इसी नारे की आड़ में अनगिनत सरकारी जमीनों पर कब्जे हुए और देखते ही देखते वहां अवैध बस्तियां बस गर्इं मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल बन गए। बहरहाल, इस प्रवृत्ति को किसी भी नजरिये से उचित नहीं कहा जा सकता है। ऐसे अवैध कब्जे जहां कहीं भी हों, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूर होनी चाहिए, क्योंकि धर्म के नाम पर अराजकता बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
संजय मग्गू