मणिपुर में कूकी और मैतेई समुदाए के बीच शुरू हुई हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। पुलिस, असम राइफल व अन्य सुरक्षा एजेंसियों के तमाम कोशिश करने के बाद भी मैतेई व कूकी समुदाय के बीच शुरू हुआ यह जातीय संघर्ष खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते बीते दिनों केंद्र सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जो कि आज 24 जून को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में सम्पन्न होगी। इस बैठक के दौरान केंद्र सरकार हिंसा और उसकी वजहों को लेकर सभी पार्टियों के नेताओं को ब्रीफ में जानकारी देगी और इसके अलावा सरकार इससे जुड़े मुद्दों पर सहयोग करने की भी अपील कर सकती है। हालांकि इस बैठक में हुई देरी को लेकर सभी विपक्षी दल सरकार पर निशाना भी साध रहे हैं और उनसे देरी की वजह भी पूछ रहे हैं।
क्या बोले विपक्षी दलों के नेता?
इस बैठक को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने लोगों के सामने अपना पक्ष रखा है। कांग्रेस ने गुरुवार 22 जून को कहा था कि जब प्रधानमंत्री अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर हैं तो ऐसे में मणिपुर हिंसा के मामले को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने का क्या मतलब है। इसके साथ ही मुख्य विपक्षी दल ने मणिपुर हिंसा मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी और इस बैठक के इंफाल के बजाय दिल्ली में होने को लेकर भी सवाल उठाए। इसके अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि मणिपुर हिंसा पर सर्वदलीय बैठक प्रधानमंत्री मोदी के लिए शायद महत्वपूर्ण नहीं है।
50 दिनों से जल रहा मणिपुर
वहीं राहुल गाँधी ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि ,” मणिपुर बीते 50 दिनों से जल रहा है, मगर प्रधानमंत्री मौन रहे। सर्वदलीय बैठक भी तब बुलाई गई जब प्रधानमंत्री खुद ही देश में नहीं हैं। साफ है कि उनके लिए यह बैठक उतनी महत्वपूर्ण नहीं है। इसके अलावा कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक वीडियो जारी करके कहा कि, ” प्रधानमंत्री अमेरिका में है, लेकिन वह मणिपुर हिंसा के बारे में खामोश हैं। उन्होंने मणिपुर के नेताओं से मिलने से मना कर दिया है। हिंसा के अब 51 दिन बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।