आखिरकार दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सलाखों के पीछे पहुंचा दिए गए। ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय के समन दर समन को चुनौती देने वाले केजरीवाल की गिरफ्तारी का रास्ता दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को साफ कर दिया था। शाम को ईडी टीम केजरीवाल के घर तलाशी लेने पहुंची और वही हुआ जिसकी आशंका केजरीवाल जाहिर करते रहे हैं। केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर सोशल मीडिया से लेकर बुद्धिजीवियों और राजनीतिक दलों में काफी उबाल है। राजनीतिक दल केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमलावर हैं।
विपक्षी दल ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र के फासीवाद में बदल जाने की ओर बढ़ाया गया कदम बताया है। भाजपा इस मामले को शराब घोटाले से जोड़कर केजरीवाल के कर्मों की सजा बताकर अपने को पाक साफ दिखाने की कोशिश कर रही है। लेकिन राजनीतिक दलों से लेकर तमाम बुद्धिजीवियों ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को शराब घोटाले और इलेक्टोरल बांड में हुए नामों के खुलासे जोड़ा है। सोशल मीडिया पर पत्रकार पूजा प्रसन्ना ने द न्यूज मिनट की उस रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें शराब घोटाले का मुख्य अभियुक्त के बाद में सरकारी गवाह बनने और उसकी कंपनी द्वारा 52 करोड़ के इलेक्टोरल खरीदने की बात कही है।
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द न्यूज मिनट की रिपोर्ट बताती है कि अरविंदो फॉर्मा के निदेशकों में से एक पी. शरदचंद्र को 11 नवंबर 2022 को ईडी ने गिरफ्तार किया था। मामला यही शराब नीति घोटाला था। 15 नवंबर को कंपनी ने पांच करोड़ रुपये का इलेक्टोरल बांड खरीदा और भाजपा को दे दिया। भाजपा ने इस बांड को 21 नवंबर को भुना लिया। मामला आरोप-प्रत्यारोप के बीच झूलता रहा। जून 2023 को पी शरद चंद ने सरकारी गवाह बनना स्वीकार किया। कथित रूप से नवंबर 2023 को अरविंदो फार्मा ने भाजपा को 25 करोड़ रुपये का इलेक्टोरल बांड दिए और भाजपा ने इसे भुनाया। द न्यूज मिनट की रिपोर्ट बताती है कि अरविंदो फॉर्मा ने कुल 52 करोड़ के इलेक्टोरल बांड खरीदे थे जिसमें से 34.5 करोड़ रुपये का इलेक्टोरल बांड भाजपा को दिए गए थे।
15 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा भारत राष्ट्र समिति और 2.5 करोड़ रुपये का चंदा तेलुगु देशम पार्टी को दिया गया। अब जब इलेक्टोरल बांड के चुनावी चंदे का मामला सार्वजनिक है, ऐसे में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को इलेक्टोरल बांड के खुलासे से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस, आप, सपा, टीएमसी जैसी पार्टियों ने ईडी की इस कार्रवाई के लिए पीएम की आलोचना की है। भाजपा का कहना है कि ईडी की कार्रवाई के बाद अरविंद केजरीवाल को नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। वैसे भी यह भारत की पहली घटना बताई जा रही है जब किसी मुख्यमंत्री को पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया गया है। इसकी प्रतिक्रिया जनता में कैसी है, इसके क्या परिणाम निकलेंगे, यह तो अब 4 जून को ही पता चलेगा।
-संजय मग्गू
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