Saturday, July 27, 2024
30.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiतुर्की में अर्दोआन की जीत के मायने

तुर्की में अर्दोआन की जीत के मायने

Google News
Google News

- Advertisement -

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन तीसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कमाल कलचदारलू को लगभग चार प्रतिशत मतों से पराजित करने में सफलता हासिल कर ली है। अर्दोआन को 52.16 प्रतिशत वोट मिले हैं। परिणाम आने पर सबसे पहले बधाई देने वालों में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं। वैसे भारत और तुर्की के रिश्ते कभी मधुर नहीं रहे हैं। तुर्की हमेशा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। माना जाता है कि जब से तुर्की की राजनीति में अर्दोआन का पदार्पण हुआ है, तब से दक्षिणपंथी रुझान का तुर्की में बोलबाला शुरू हुआ है। कुछ लोग उन्हें स्वेच्छाचारी शासक मानते हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अर्दोआन ने तुर्की की 90 फीसदी मीडिया पर कब्जा कर रखा है। मीडिया वाले वही कुछ लिखते और दिखाते हैं, जो अर्दोआन के पक्ष में होता है।

आरोप तो यह भी है कि जिसने भी उनका विरोध करने की हिम्मत दिखाई, उसको जेल जाना पड़ा है। मीडिया और न्यायपालिका पर अपना प्रभाव कायम रखने वाले अर्दोआन इस्लामी कट्टरपंथ और कथित राष्ट्रवाद को पिछले बीस साल से बढ़ावा देते आ रहे हैं। तुर्की के हालात कैसे हैं, इसका पता इस बात से चलता है कि अर्दोआन की जीत पर हिजाब पहने 50 साल की एक महिला कहती है कि हम इस बात से धन्य हैं कि हमारे राष्ट्रपति हमारा नेतृत्व कर रहे हैं। पूरे तुर्की में धार्मिक उन्माद और राष्ट्रवाद के नाम पर अराजकता अपने चरम पर है। राष्ट्रपति चुनाव परिणाम आने के बाद बड़े गर्व से अर्दोआन ने घोषणा की कि सिर्फ तुर्की ही विजेता है।

उन्होंने विपक्ष और एलजीबीटीक्यू समुदाय पर हमला करने में भी देर नहीं लगाई। साढ़े आठ करोड़ जनता में अपने कट्टरपंथी रुझान की वजह से अर्दोआन काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। हालांकि सरकारी घोषणा के बावजूद विपक्ष ने अपना पराजय स्वीकार नहीं किया है। वह चुनाव में धांधली का आरोप लगा रहा है। कहा जा रहा है कि रूस ने चुनाव को प्रभावित करने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग किया था। जिस तरह से अर्दोआन की जीत पर क्रेमलिन (रूस की राजधानी) में जश्न मनाया गया है और प्राकृतिक गैस के बकाया 60 करोड़ रुपये का भुगतान वसूलने को कुछ महीनों के लिए स्थगित कर दिया है, उससे रूस की इस मामले में संलिप्तता समझी जा सकती है। पुतिन ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अर्दोआन के पक्ष में हवा बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया था।

तुर्की में अर्दोआन की सफलता के बाद पश्चिमी देशों में चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि अब धर्म निरपेक्ष राष्ट्र तुर्की के सामाजिक जीवन में धर्म का बोलबाला होगा और लोगों की स्वतंत्रता कम होगी। नीदरलैंड की सांसद काटी पीरी ने तो यहां तक ट्वीट करके लिखा है कि अर्दोआन ने तुर्की को तानाशाही में बदल दिया है। ऐसे में विरोधियों को जेल में डालने वाले, मीडिया और न्यायपालिका को नियंत्रित करने वाले व्यक्ति को हराना असंभव था। बता दें कि तुर्की अक्टूबर में अपने गठन के सौ साल मनाने जा रहा है।

संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Recent Comments