संजय मग्गू
साजिश जीवन का एक अहम हिस्सा है। साजिश कोई भी किसी के खिलाफ रच सकता है। एक व्यापारी दूसरे व्यापारी के खिलाफ, एक देश दूसरे देश के खिलाफ साजिश रचने से नहीं चूकता है। यहां तक कि एक भाई दूसरे भाई के खिलाफ सदियों से साजिश रचते रहे हैं। भारत में दिन दूनी रात चौगुनी दर से बढ़ते मेडिकल टूरिज्म के खिलाफ कुछ देश आए दिन साजिश रचते रहते हैं। इसका भी एक कारण है। भारत में मेडिकल टूरिज्म पिछले कुछ दशक से बहुत बढ़ गया है। पिछले साल ही यानी सन 2023 में भारत में अपना इलाज कराने आने वालों की संख्या 61 लाख रही यानी दुनिया भर के 61 लाख नागरिकों ने भारतीय डॉक्टरों, यहां की चिकित्सा व्यवस्था पर भरोसा किया और अपना इलाज कराया। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक इस साल भारत में रिकॉर्ड 73 लाख विदेशियों ने अपना इलाज कराया। दुनिया भर के लोग आखिर अपना इलाज कराने भारत में ही क्यों भागे चले आ रहे हैं? क्योंकि भारत के डॉक्टर विकसित देशों के मुकाबले में ज्यादा प्रशिक्षित और अपने कार्य में कुशल माने जाते हैं। भारत में इलाज कराना भी दुनिया के सभी देशों के मुकाबले में सस्ता पड़ता है। सस्ता इलाज और कुशल डॉक्टरों की छवि अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों के मरीजों को यहां खींच लाती है। इन दिनों भारत का मेडिकल टूरिज्म 10.4 अरब डॉलर के आसपास पहुंच गया है जिसके सन 2034 तक 50.68 अरब डॉलर पहुंच जाने की उम्मीद है। मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में 46 ग्लोबल डेस्टिनेशन में भारत का 10वां स्थान है। ऐसी स्थिति में कुछ देशों को भारत के बढ़ते मेडिकल टूरिज्म को लेकर ईर्ष्या तो होनी ही थी। कुछ समय पहले मेडिकल साइंस की चर्चित पत्रिका लैंसेट ने दुनिया भर के लोगों को आगाह किया कि भारत और पाकिस्तान में एक ऐसा सुपरबग पाया गया है जिस पर एंटिबायोटिक्स का असर नहीं होता है। इसमें ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का हाथ बताया जाता है। हालांकि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च ने इस दावे को बड़ी शिद्दत के साथ नकार दिया। अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा में जिस रोग के इलाज के लिए एक करोड़, डेढ़ करोड़ या अस्सी-नब्बे लाख रुपये खर्च होते हैं, उस रोग का इलाज भारत में कुछ लाख रुपये में ही हो जाता है। जिस बायपास सर्जरी के लिए अमेरिका जैसे देश में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आती है, वही सर्जरी भारत में सिर्फ चार-पांच लाख रुपये में हो जाती है। ऐसी दशा में कौन अपना इलाज इन देशों में कराना चाहेगा। भारत से प्रतिस्पर्धा करने के लिए देशों को अपने यहां इलाज को सस्ता बनाना चाहिए, न कि अफवाह फैलाने जैसी हरकत करनी चाहिए। भारत तो विदेश से अपना इलाज कराने आने वाले मरीजों को कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है। भारत ने 167 देशों को ई मेडिकल एटेंनडेंट वीजा की सुविधा दी है। यही भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
मेडिकल टूरिज्म में नए कीर्तिमान स्थापित करता भारत
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