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ओडिशा रेल हादसा एक राष्ट्रीय त्रासदी

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जीवन का कोई भरोसा नहीं, वह तो क्षणभंगुर है, पानी का बुलबुला है। इस सत्य को भला कौन नकार सकता है! ओडिशा के बालेश्वर जिले में हुए रेल हादसे ने हमें अंदर तक हिला दिया है, यह राष्ट्रीय शोक की घड़ी है। तकरीबन तीन सौ लोग असमय काल का ग्रास बन गए और एक हजार से भी ज्यादा लोग जिंदगी-मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। मृतकों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है, क्योंकि सौ से ज्यादा घायलों की हालत अति गंभीर है। एनडीआरएफ, ओडीआरएफ (ओडिशा आपदा राहत बचाव दल) एवं स्थानीय पुलिस-प्रशासन के साथ-साथ विभिन्न स्वयंसेवी-सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से प्रभावितों की सेवा-सहायता में लगे हुए हैं।

इस राष्ट्रीय आपदा पर राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं के अलावा अमेरिका, चीन, ब्रिटेन एवं जापान जैसे कई देशों के प्रमुखों ने दु:ख जाहिर करते हुए मृतकों की आत्मा के लिए शांति की कामना एवं प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आदि ने मौके पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया और प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन देकर उनके जख्मों पर मरहम लगाने का प्रयास किया।

दो यात्री गाड़ियों और एक मालगाड़ी के बीच हुई यह दुर्घटना निस्संदेह किसी मानवीय भूल का परिणाम है, लेकिन इसके साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि गलतियां इंसान से ही होती हैं। दुर्घटना के कारणों एवं परिस्थितियों की जांच-पड़ताल बहुत जरूरी है। इससे निकले निष्कर्ष हमारे लिए आगे के एहतियात तय करेंगे कि ऐसा क्या किया जाए कि भविष्य में हमें यह स्थिति न देखनी पड़े। अभी सरकार एवं स्थानीय प्रशासन का ध्यान सिर्फ राहत व बचाव कार्यों पर केंद्रित रहना चाहिए। और, हमें इस बात पर फख्र है कि दुर्घटना की सूचना मिलते ही राहत-बचाव दलों ने अल्प संसाधनों एवं विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने फर्ज को बखूबी निभाया है और वे अभी भी इस कार्य में लगे हुए हैं।

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