फरीदाबाद जिले के एक गांव में बिजली चोरों के खिलाफ छापेमारी करने गई विभागीय टीम पर महिलाओं ने छेड़छाड़ का आरोप जड़ दिया, नतीजतन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वहां से तुरंत उल्टे पांव भागना पड़ा। यह है आलम, बिजली चोरों की सीनाजोरी का! आपको याद होगा कि कुछ समय पहले जींद जिले के नरवाना क्षेत्र अंतर्गत गांव दबलैन में बिजली चोरों ने छापेमारी कर रही अधिकारियों एवं कर्मचारियों की टीम पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया था। यह समस्या सिर्फ एक जगह की नहीं है, बल्कि लगभग हर इलाके में बिजली चोरी को अंजाम दिया जा रहा है। कुछ लोग तो बाकायदा विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ साठगांठ करके धड़ल्ले से बिजली चोरी कर रहे हैं। घरेलू उपयोग के अलावा दुकानें-कारखाने तक चोरी की बिजली से चल रहे हैं। वहीं कुछ लोग दबंगई के बल पर बिजली चोरी करते हैं और जब छापे की कार्रवाई होती है, तो हमलावर हो जाते हैं।
महिलाएं सबसे एक कदम आगे हैं, किसी पर भी छेड़छाड़ का आरोप चस्पां कर देना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आपने अक्सर देखा होगा कि जगह-जगह बिजली के तारों का जाल फैला रहता है, जिनमें ज्यादातर केबिल बिजली चोरों के होते हैं। कई इलाकों में तो गिरोह सक्रिय हैं, जो चोरी की बिजली घर-घर कनेक्शन देकर बांटते हैं और बदले में माहवारी वसूली करते हैं। इनके संबंध धनलोलुप विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों से होते हैं, जो छापे की सूचना बहुत पहले पहुंचा देते हैं। बिजली चोरी से होने वाले नुकसान को विभाग की भाषा में लाइन लॉस कहा जाता है। इस तरह विभाग को हर महीने लाखों-करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है।
वहीं बिजली चोर मौज काटते रहते हैं। फरीदाबाद जिले के विभिन्न हिस्सों में विभाग द्वारा अभी दो दिन पूर्व हुई छापेमारी के दौरान 126.83 करोड़ रुपये की बिजली चोरी पकड़ी गई। 47 टीमों ने 615 स्थानों पर सघन छापेमारी करके 185 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। बिजली चोरी के चलते विभाग को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है। यही वजह है कि जब विभाग बिजली आपूर्ति में कटौती करता है, तो फिर हाय-तौबा मचने लगती है।
संजय मग्गू