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फिल्म बनाई है या मजाक किया है

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पिछले साल अक्टूबर में जब ओम राउत निर्देशित फिल्म आदिपुरुष का टीजर रिलीज हुआ था, तब हिंदुस्तान में बवाल हो गया था। आज जब फिल्म आदिपुरुष रिलीज हुई, तो नेपाल में विवाद खड़ा हो गया है। नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ‘बालेन’ ने आदिपुरुष में सीता के किरदार के मुंह कहलवाए गए एक डॉयलाग पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्हें ‘भारत की बेटी’ बताया गया है। काठमांडू मेयर बालेंद्र शाह बालेन ने तो यहां तक चेतावनी दी है कि जब तक आदिपुरुष में से सीता को भारत की बेटी बताने वाला संवाद हटाया नहीं जाएगा, तब तक किसी भी हिंदी फिल्म को काठमांडु मेट्रोपॉलिटन सिटी में नहीं चलने दिया जाएगा। ये गलती सुधारने के लिए तीन दिन का वक़्त दिया गया है।

हालांकि काठमांडु में इस संवाद को म्यूट कर दिया गया है। ऐतिहासिक तथ्य तो यही बताते हैं कि सीता का जन्म जनकपुरी में हुआ था, जो नेपाल में हैं। इस हिसाब से देखें तो वह नेपाल की बेटी और भारत की बहू थीं। नेपाली सेंसर बोर्ड के सदस्य ऋषिराज आचार्य का कहना है कि फिल्म निर्माताओं को यह संवाद भारत और भारत से बाहर प्रदर्शित होने वाले प्रिंट से हटा देना चाहिए।

नेपाली फिल्म विकास बोर्ड ने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। आज यानी 16 जून 2023 को जब यह फिल्म रिलीज हुई है, तो भारत में भी सोशल मीडिया पर फिल्म के संवाद को लेकर आपत्ति जताई जा रही है।

सोशल मीडिया पर फिल्म आदिपुरुष के डायलाग को उद्धृत किया गया है जिसमें बजरंगबली को यह कहते हुए दिखाया गया है कि कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का, आग भी तेरे बाप की, तो जलेगी भी तेरे बाप की। या अक्षय वाटिका में हनुमान जी के प्रवेश करने पर एक राक्षस उनसे कहता है कि तेरी बुआ का बगीचा है जो तू यहां हवा खाने आ गया? इस तरह के निम्न स्तर के डॉयलॉग अगर फिल्म में हैं तो सचमुच भारतीय सभ्यता और संस्कृति के साथ यह खिलवाड़ माना जाएगा। लोग तो फिल्म आदिपुरुष के कई दृश्यों पर भी आपत्ति जता रहे हैं। जब इस फिल्म का टीजर रिलीज हुआ था, तब भी टीजर देखने वालों ने आपत्ति जताई थी।

कहा जा रहा है कि फिल्म में रावण की लंका को काला दिखाया गया है। जबकि प्राचीन ग्रंथों और लोकमान्यता के अनुसार, रावण की लंका सोने की थी और दूर से देखने पर पीली दिखती थी। फिल्म में राम, रावण, सीता, हनुमान आदि की वेशभूषा पर भी लोगों को आपत्ति है। सोशल मीडिया पर जो कुछ लिखा और दिखाया जा रहा है, उसके मुताबिक रावण और हनुमान जी का लुक किसी मुस्लिम पात्र की तरह लगता है। राम और लक्ष्मण के पात्र से भी न्याय न होने की बात कही जा रही है। इस सब बातों को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि ओम राउत ने फिल्म बनाते समय भारतीय परिवेश का ध्यान नहीं रखा। यह सब कुछ लोक मान्यता के खिलाफ है। इस तरह की चूक को धर्म भीरू जनता या कहें कि दर्शक कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। लोक आस्था से खिलवाड़ करना कतई उचित नहीं है।

संजय मग्गू

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