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तकनीक साझा करने का खुला रास्ता

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका स्टेट विजिट काफी सुर्खियां बटोर रही है। अमेरिका में पीएम मोदी का जिस तरह स्वागत हुआ है, उससे पूरा देश गर्व से अपना सिर उठाकर यह कह सकता है कि भारत ने वैश्विक स्तर पर एक रुतबा हासिल कर लिया है। उसकी बात पर गौर करना दुनिया के लिए एक तरह से अनिवार्य हो गया है। विकसित देशों में भी अब भारत की बात सुनी जाती है। अमेरिका की इस यात्रा से हमारे देश को एक ऐसी उपलब्धि हासिल हुई है जिसकी जरूरत काफी दिनों से महसूस की जा रही थी। मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड के बीच हुआ ऐतिहासिक समझौता भविष्य में भारत की सामरिक जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। इस समझौते के बाद यह तय हो गया है कि हमारे देश में बने लाइट काम्बेट एयरक्राप्ट के लिए तेजस के लिए जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस इंजन बनाएगा।

इसकी तकनीक भी ट्रांसफर करेगा। इस समझौते के बाद भारत  तकनीक नहीं साझा करने के दौर से बाहर निकल आया है। अब विकसित देश भारत के साथ तकनीक साझा करने को तैयार हैं। इस समझौते से भारत के साथ कम से कम 11 तकनीक साझा करने का रास्ता खुल गया है। भारत पर सन 1960 से लेकर 1990 के बीच तकनीक साझा न करने जैसे मामले में विकसित देशों ने काफी सख्ती बरती थी। भारत ने 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया था। उसके बाद परमाणु सप्लायर ग्रुप बनाया गया जिससे भारत को बाहर रखा गया। वर्ष 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी यह बहिष्कार झेलना पड़ा, जब उनके शासनकाल में परमाणु परीक्षण किया गया। दुनिया भर के विकसित देशों ने भारत की ऐसी आलोचना की, मानो भारत ने उनके सिर पर परमाणु बम फोड़ दिया हो। दुनिया भर के विकसित देश बिलबिला उठे थे।

लेकिन इसके दो साल बाद ही हालत में थोड़ा सुधार हुआ, जब तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह और अमेरिकी उप-विदेश मंत्री स्टॉब टेलबॉट के बीच जनवरी 2000 में एक अहम बैठक हुई। इस बैठक के बाद भारत और अमेरिका नजदीक आते गए। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहनीय भूमिका रही। वैसे मोदी की इस बार की यात्रा उतनी निरापद नहीं रही। अमेरिका के ही कुछ संगठनों और सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी का विरोध किया।

संयुक्त बैठकों का बहिष्कार किया। यह शायद पहली बार है जब अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अमेरिका की सड़कों पर छिटपुट प्रदर्शन किए गए। लेकिन इन विरोध प्रदर्शनों का कोई विशेष प्रभाव मोदी की यात्रा पर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल की पत्रकार सबरीना सिद्दीकी ने पीएम मोदी को एक ही सवाल में कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी ने बड़ी चतुराई से उनके प्रयास को विफल कर दिया।

संजय मग्गू

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