Tuesday, February 4, 2025
16.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiअनशन से नहीं, बातचीत से ही खत्म होगा किसान आंदोलन

अनशन से नहीं, बातचीत से ही खत्म होगा किसान आंदोलन

Google News
Google News

- Advertisement -

संजय मग्गू
खनौरी बॉर्डर पर पिछले 26 दिन से अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। उनके कई अंगों के फेल होने का खतरा पैदा हो गया है। इस बात को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने भी चिंता जाहिर की है। सुप्रीमकोर्ट ने पंजाब सरकार से डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करने और उनके स्वास्थ्य की जांच रिपोर्ट पेश करने की हिदायत दी है। इस मामले में पंजाब सरकार भी लापरवाही बरत रही है। हरियाणा सरकार इस मामले में कुछ ज्यादा नहीं कर सकती है क्योंकि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। वैसे भी एमएसपी सहित कई मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन में हरियाणा के किसानों की भागीदारी बिल्कुल नगण्य है। थोड़े बहुत किसान भले ही इस आंदोलन से जुड़े हुए हों। प्रदेश के कई जिलों से किसानों के पक्ष में धरना-प्रदर्शन करने की खबरें भले ही आ जाती हों, लेकिन जो ऐसा कर रहे हैं, उनकी संख्या बहुत थोड़ी सी है। प्रदेश के बहुसंख्यक किसानों की रुचि आंदोलन में इसलिए भी नहीं है क्योंकि सैनी सरकार ने पहले से ही 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने की घोषणा कर रखी है। जब प्रदेश के किसानों को पहले से ही एमएसपी मिल रहा है, ऐसी स्थिति में उनके आंदोलन करने का कोई तुक भी नहीं बनता है। दरअसल, इन दिनों जो किसान आंदोलन चल रहा है, उसके पीछे मूलत: पंजाब के किसान हैं। पंजाब सरकार इन किसानों पर कोई कार्रवाई इसलिए भी नहीं कर रही है क्योंकि इस आंदोलन की वजह से केंद्र सरकार की छवि पर फर्क पड़ता है। लोगों को लगता है कि किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है। आंदोलन के बहाने कुछ किसान नेता अपनी नेतागिरी चमकाने की फिराक में हैं। इसके बावजूद डल्लेवाल का गिरता स्वास्थ्य जरूर चिंता का विषय है। वह पहले से ही कैंसर के रोगी हैं, ऊपर से वह बुजुर्ग हैं। उनके स्वास्थ्य की चिंता हर किसी जागरूक नागरिक को होगी ही। ऐसी स्थिति में सुप्रीमकोर्ट और केंद्र सरकार को कोई ऐसा रास्ता अख्तियार करना चाहिए ताकि यह आंदोलन खत्म हो जाए। इसका कोई भी हल होगा, वह बातचीत से ही निकलेगा। केंद्र सरकार को किसानों से बातचीत करने के लिए आगे आना चाहिए। जिन मांगों को वह मान सकती है, उसको मान ले और बाकी मांगों पर वह विचार करने के लिए समय ले सकती है। या फिर किसानों को दिल्ली जाने दिया जाए और वहां वह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करते हैं, तो भी इसमें कोई हर्ज नहीं है। लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रकट करने का अधिकार है। यही हमारे देश के लोकतंत्र की खूबसूरती है। किसी भी तरह से पिछले काफी समय से चल रहा किसान आंदोलन खत्म होना चाहिए।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

औषधियों की खोज में लगे रहते थे चरक

बोधिवृक्षअशोक मिश्र भारतीय आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले राजवैद्य चरक पंजाब के कपिल स्थल नामक गांव में पैदा हुए थे। ऐसा माना जाता है।...

Recent Comments