ऐसे अमर होने से क्या फायदा?
अशोक मिश्र
ईसा से 356 वर्ष पूर्व मकदूनिया में पैदा हुआ सिकंदर बचपन से ही महत्वाकांक्षी था। बीस वर्ष की आयु में जब सिकंदर अपने गुरु अरस्तू से शिक्षा ग्रहण करके मकदूनिया आया, तो उसे पिता फिलिप ने उसे मकदूनिया का प्रभारी बनाकर खुद बाईजेंटियम के खिलाफ लड़ने चले गए। उसी समय थ्रैसियन मैदी ने मकदूनिया के खिलाफ बगावत कर दी, तो सिकंदर ने उसे दूर तक खदेड़ दिया। ग्रीक इतिहास में सिकंदर को महान सेनापति माना जाता था। विश्व विजेता कहलाने वाले सिकंदर ने पूरी दुनिया का सिर्फ 15 प्रतिशत भाग ही जीता था। उसके बारे में एक कथा कही जाती है, जो कतई सत्य नहीं है। कहते हैं कि वह अपनी मौत को लेकर काफी भयभीत रहता था। वह मरना नहीं चाहता था। उसने किसी से सुना था कि एक गुफा में अमृत जल है जिसे पीने से मौत नहीं होती है। वह उस अमृत की खोज में निकल पड़ा। काफी दिनों तक भटकने के बाद उसे पता चला कि अमुक जगह में एक गुफा है जिसमें अमृत जल है। वह उस जगह पहुंचा। उसने देखा कि गुफा में काफी घना अंधकार है। वह साहस करके अंदर गया, तो देखा कि एक झरना बह रहा है। वह जल्दी से जाकर पानी पीने को हुआ, तो वहां मौजूद एक कौवे ने कहा कि पानी मत पीना। सिकंदर नाराज हो गया कि जिसने पूरी दुनिया जीत ली है, उसे एक कौआ आदेश दे रहा है। वह बोला, तू जानता नहीं मैं कौन हूं? तब कौवा बोला, मैंने भी यह पानी पिया है। अब मैं मरना चाहता हूं, लेकिन मौत नहीं हो रही है। मेरी हालत देख लो। सिकंदर ने देखा कि उसके सारे पंख झड़े हुए थे। शरीर गल गया था। सिकंदर ने सोचा, ऐसे अमर होने से क्या फायदा जब जीवन आ आनंद न उठा पाऊं। वह बिना पानी पिए लौट आया।
अशोक मिश्र