नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बिजली के पोल में उतरे करंट की चपेट में आकर शिक्षिका साक्षी आहूजा अपनी जान गंवा बैठीं। वह अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ की सैर पर जाने के लिए वंदे भारत ट्रेन पकड़ने वहां पहुंचीं थीं। राष्ट्रीय राजधानी के प्रीत विहार निवासिनी साक्षी जैसे ही स्टेशन के गेट नंबर दो से दाखिल होने के बाद परिसर स्थित टैक्सी स्टैंड का डिवाइडर पार करके हाई मास्ट लाइट पोल के पास पहुंचीं, वहां भरे पानी में उन्हें करंट लगा और वह गिर पड़ीं। यह देखकर वहां मौजूद टैक्सी-कैब चालक तुरंत दौड़ पड़े, लेकिन वे साक्षी को करंट की चपेट से निकाल नहीं सके। मालूम हो कि अभी दो माह पहले यहीं पर जितेंद्र नामक युवक की बिजली का करंट लगने से मौत हो चुकी है।
आरपीएफ के जवानों ने किसी तरह डंडे, कंबल व बेल्ट के सहारे साक्षी को पानी से बाहर निकाला और लेडी हार्डिंग अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। खैर, होनी को भला कौन टाल सकता है! लेकिन अगर एहतियात बरते जाएं, तो ऐसे हादसों से किसी हद तक बचा जरूर जा सकता है। दु:खद तो यह है कि रेलवे प्रशासन के आला अफसर मामले को लेकर अपनी लापरवाही स्वीकार करने के बजाय दीगर विभागों के सिर ठीकरा फोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं।
मालूम हो कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर रोजाना तकरीबन पांच लाख यात्री आते हैं और यहां से तीन सौ से ज्यादा ट्रेनों का प्रतिदिन संचालन होता है। 16 प्लेटफॉर्म व दो निकास, अजमेरी गेट एवं पहाड़गंज वाले इस विशाल स्टेशन के पास अच्छा-खासा बजट और समुचित संसाधन हैं। यहां की नियमित आय भी लाखों में है, लेकिन सुरक्षा एवं सुविधाओं के मामले में प्रबंधन शून्य है।
पिछले काफी दिनों से इस स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने के दावे किए जा रहे हैं, योजनाएं बन रही हैं, केंद्र और दिल्ली सरकार पूरा सहयोग देने का वादा भी कर चुकी हैं। लेकिन, रेलवे प्रशासन के नकारापन के चलते आएदिन हादसे हो रहे हैं। हर मामले के बाद एक कमेटी बनाकर जांच सौंप दी जाती है और रिपोर्ट आने के बाद लीपा-पोती कर दी जाती है। साक्षी के मामले में भी जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। अब देखना यह है कि उसकी रिपोर्ट कब तक आती है और उस पर क्या कार्यवाही होती है।
संजय मग्गू