Saturday, July 27, 2024
30.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiसर्वदलीय बैठक से शांत होगा मणिपुर?

सर्वदलीय बैठक से शांत होगा मणिपुर?

Google News
Google News

- Advertisement -

मणिपुर में पिछले 54-55 दिनों से हो रही हिंसा को लेकर 25 जून को केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर प्रकारांतर से यह मान लिया है कि मणिपुर में मैतोई और कुकी-जोमी जनजातियों के बीच चौड़ी होती जा रही खाई को सैन्य बल से नहीं सुलझाया जा सकता है। यही वजह है कि मणिपुर में अपने तमाम उपायों को आजमाने के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाकर संयुक्त रूप से समाधान खोजने की पहल की गई है। कांग्रेस और विपक्षी दलों को इस बैठक के बहाने अपनी भड़ास निकालने का बेहतरीन मौका मिला और उन्होंने अपनी भड़ास निकाली भी। सवाल यह है कि क्या दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाने से मणिपुर में पैदा हुई समस्या हल हो सकती है? बेहतर होता, केंद्र सरकार इस समस्या का हल निकालने के लिए मैतोई और कुकी जनजातियों के बीच जाती। 

उनसे संवाद करती, उनकी समस्याएं सुनती, उनका विश्वास जीतने की कोशिश करती और फिर किसी समाधान पर पहुंचने की कोशिश की जाती। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले लगभग डेढ़ महीने से अलगाव की आग में झुलस रहे मणिपुर में अलगाव की भावना का इतना विस्तार हो चुका है जिसका समाधान इतनी आसानी से निकलता नहीं दिखाई दे रहा है। अविश्वास की परतें इतनी ज्यादा जम गई हैं जिसको हटा पाना बहुत मुश्किल है। हालात कितने बदतर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा के ही कुछ कुकी विधायक असम राइफल्स और अर्धसैनिक बलों पर मैतोई समुदाय का पक्ष लेने का आरोप लगा रहे हैं।

यही आरोप मैतोई समुदाय के लोग भी लगा रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि एक दूसरे के खून के प्यासे दोनों समुदाय पुलिस और सैन्य बलों पर एक दूसरे का पक्ष लेने का आरोप लगा रहे हैं। मणिपुर में होने वाली हिंसक घटनाओं में अब तक 110 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 50 हजार से अधिक लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। मणिपुर के इंफाल की एक बहुत बड़ी आबादी विस्थापित हो चुकी है। हालात यह है कि सरकारी और गैर सरकारी गोदामों से हथियार लूटे जा रहे हैं। इन्हीं हथियारों से लोगों की हत्याएं हो रही हैं। विधायकों और मंत्रियों के घरों पर हमला किया जा रहा है। उनकी संपत्ति को आग के हवाले किया जा रहा है। दोनों समुदाय एक दूसरे की संपत्ति को स्वाहा करने पर तुले हुए हैं।

हालात यह है कि उपद्रवियों को बचाने के लिए महिलाएं पुलिस और सैनिकों के सामने ढाल बनकर खड़ी हो रही हैं। ऐसी स्थिति में पुलिस और सैनिक विवश होकर खड़े रहते हैं। अभी कल की ही घटना है। इंफाल में बारह हथियारबंद उपद्रवियों को बचाने के लिए डेढ़ हजार महिला-पुरुषों ने सैन्य बलों को घेर लिया। हिंसा और न भड़के, इसलिए विवश होकर पुलिस और सैनिकों को अपने पांव पीछे करने पड़े। ऐसी स्थिति में होना यह चाहिए कि सभी राजनीतिक दल अपने मतभेद भुलाकर प्रदेश की भलाई के लिए सड़कों पर उतरें। मैतोई और कुकी समुदाय के नेताओं से संपर्क करें। उन्हें देश और प्रदेश का हित किसमें है यह समझाएं और हिंसा रोकने में उनकी सहायता लें। तभी मणिपुर की आग शांत हो सकती है।

संजय मग्गू

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Kargil Vijay Diwas: प्रधानमंत्री ने कहा, हार के बावजूद सबक नहीं सीखता है पाकिस्तान

प्रधानमंत्री(PM) नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas: ) के मौके पर कहा कि पाकिस्तान ने इतिहास से कोई सबक...

Ajay Chautala: अजय चौटाला की कार दुर्घटनाग्रस्त, बाल-बाल बचे

जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला(Ajay Chautala: ) शुक्रवार को बाल-बाल बचे। दरअसल, जींद जिले के नरवाना क्षेत्र में अचानक सड़क...

“आयुष्मान आरोग्य मन्दिर गहलब में बुजुर्ग रोगियों के लिए स्वास्थ्य कैम्प का आयोजन किया गया”

पलवल : आयुष्मान आरोग्य मन्दिर गहलब में आज वरिष्ठ नागरिकों को स्वस्थ जीवन बिताने ओर निरोगी रहने के लिए निःशुल्क जांच शिविर का आयोजन...

Recent Comments