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क्या तेलंगाना में होगा त्रिकोणात्मक मुकाबला ?

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देश रोज़ाना: कर्नाटक चुनाव के बाद दक्षिण का इकलौता राज्य है तेलंगाना जहां 2023 में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। तेलंगाना इसलिए भी अहम है क्योंकि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा सीटें जीत कर देश को चौंकाया था। यहां तक कि केसीआर की बेटी को भी भाजपा ने लोकसभा चुनाव में हराया था। 2014 में 10 प्रतिशत के मुकाबले भाजपा ने 2019 में 19.45 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। ऐसे में बड़ा सवाल है कि तेलंगाना में सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) (जो पहले टीआरएस थी) का मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में किससे होने जा रहा है ?

2016 में हुए हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा ने एआईएमआईएम को पीछे छोड़ दिया था। 48 सीटें हासिल करते हुए भाजपा ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पर चार सीटों की बढ़त ले ली थी। टीआरएस, भाजपा से महज सात सीट आगे थी। कांग्रेस चुनाव में दिखाई नहीं पड़ रही थी। इससे भी संदेश यही गया कि तेलंगाना की फिजा बदल रही है। कर्नाटक में बाद तेलंगाना दूसरा प्रदेश है जहां भाजपा का कमल खिलता ही नहीं दिखा, बल्कि लगातार मजबूती से जड़ें जमाता नजर आया। अब कर्नाटक में भाजपा की हार से तेलंगाना की सियासत पर फर्क पड़ा है या नहीं, और अगर पड़ा है तो कितना पड़ा है ये जानना सबकी दिलचस्पी का विषय है। कांग्रेस सांसद और प्रदेश अध्यक्ष ए रेवनाथ रेड्डी का दावा है कि तेलंगाना की जनता ने जिस तरीके से कर्नाटक में भाजपा को सरकार से बेदखल किया है, उसी तरह तेलंगाना में टीआरएस को सत्ता से बेदखल करेगी। कांग्रेस का मानना है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से होगा और इसलिए तेलंगाना में भी लोग राष्ट्रीय राजनीति को ध्यान में रखकर वोट करेंगे।

ज्ञात हो कि तेलंगाना में 119 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 19 एससी और 12 एसटी वर्ग के लिए सुरक्षित हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में तेलंगाना में 73.37 प्रतिशत वोट पड़े थे। 20599739 लोगों ने वोट डाले थे। कुल वैध मतों की संख्या 20470767 थी। टीआरएस को 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 46.87 प्रतिशत वोट मिले थे और उसे 88 सीटें हासिल हुई थीं। टीआरएस प्रमुख केसीआर ने कर्नाटक चुनाव के बाद दावा किया है कि उनकी पार्टी को 95 से 110 सीटें आ रही हैं। दरअसल ये दावा उस माहौल को शांत करने के लिए किया गया है जो कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद कांग्रेस, उसे तेलंगाना की सियासत से जोड़कर बना रही थी।

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी कांग्रेस। उसे 28.43 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे और उसे 19 सीटें मिली थीं। भाजपा ने बीते विधानसभा चुनाव में 6.98 प्रतिशत वोट हासिल किए थे और उसे एक सीट पर जीत भी मिली थी। मगर, भाजपा ने लोकसभा चुनाव में कहानी ही पलट दी। करीब 20 प्रतिशत वोट लाकर भाजपा ने जता दिया कि वो तेजी से उभरती हुई ऐसी ताकत है जो सरकार बनाने का दमखम जुटा रही है। इस चुनाव में यह भी देखने वाली बात होगी कि क्या भाजपा का वो दमखम 2023 में बरकरार रहने वाला है? तेलंगाना में 2018 के विधानसभा चुनाव में कई अन्य पार्टियां भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही थीं। इनमें बीएसपी 2.06 प्रतिशत, सीपीआई-सीपीएम 0.84 प्रतिशत, एनसीपी 0.14 प्रतिशत, एआईएमआईएम 2.71 प्रतिशत और टीडीपी 3.51 प्रतिशत शामिल हैं। आम आदमी पार्टी ने भी चुनाव लड़ा था और उसे मात्र 0.06 प्रतिशत वोट मिले थे।

वैसे यह भी बात देने योग्य है कि चाहे लोकसभा हो या फिर विधान सभा चुनाव, टीआरएस बाकी दलों से बहुत आगे रहा है। लोकसभा चुनाव में टीआरएस को 41.37 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 29.27 प्रतिशत। टीआरएस ने सबसे ज्यादा नौ सीटें जीती थीं तो भाजपा ने चार और कांग्रेस ने तीन सीटों पर कब्जा जमाया था। एक सीट एआईएमआईएम ने जीती भाजपा ने 19.45 प्रतिशत वोट हासिल कर सबको चौंकाया था। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)

अशोक भाटिया

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