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अध्‍यादेश पर कांग्रेस आई साथ, फिर भी मुश्किल में आम आदमी पार्टी

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बेंगलुरु में होने वाली विपक्ष की बैठक से पहले कांग्रेस ने एक बड़ा रणनीतिक फैसला ले लिया है। अब अध्यादेश के मुद्दे को लेकर कॉन्ग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ रहेगी। दरअसल दिल्ली की प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश का संसद में समर्थन कांग्रेस नहीं करेगी। कई दिनों से आम आदमी पार्टी कांग्रेस से इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कह रही थी लेकिन कांग्रेस इसको लेकर टालमटोल कर रही थी।

बिहार में हुई महागठबंधन की बैठक में कांग्रेस ने इस को लेकर कोई जवाब नहीं दिया तब आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल भी नहीं हुए थे और वहां से वापस दिल्ली लौट आए थे लेकिन अब जब बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक होने वाली है, उससे पहले कांग्रेस ने यह फैसला ले लिया है कि वह अध्यादेश के मामले पर आम आदमी पार्टी के साथ रहेगी। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्‍या कांग्रेस का ये फैसला उसकी अपनी पार्टी के दिल्‍ली ईकाई के लोग मान पाऐंगें क्‍योंकि अभी कुछ दिनों पहले ही पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने ट्विट कर कहा था कि कांग्रेस इस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगी, अजय माकन ने यह कहा था कि अगर अध्यादेश पास नहीं हुआ तो केजरीवाल जी– पूर्व सीएम शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज से ऊपर लोकप्रियता पाने की कोशिश करेंगे।

अजय माकन ने यह भी कहा था कि केजरीवाल कांग्रेस का समर्थन तो चाहते हैं लेकिन उनकी पुरानी राजनीति से सवाल खड़े होते हैं इसलिए कि यह भी राजनीतिक कारण है कि कांग्रेस अध्यादेश को लेकर उनसे हाथ नहीं मिलाना चाहती है। लेकिन आप कांग्रेस ने माकन के इस बयान के इतर महागठबंधन की बैठक से ठीक पहले अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी का साथ दे दिया है। लेकिन राज्यसभा में इस अध्यादेश को रोकने के लिए केजरीवाल सरकार को और भी दलों के समर्थन की जरूरत होगी। राज्यसभा में आप के 10 सांसद है, जबकि कांग्रेस के 31, टीएमसी के 12, द्रमुक के 10, बीआरएस के 9, आरजेडी के 6, माकपा के 5, जदयू के 5, सपा के 3, भाकपा के 2, जेएमएम के 2 और आरएलडी का एक सांसद है। इनमें से एनसीपी के चार और शिवसेना के तीन सांसद है माना यह भी जा रहा है कि एनसीपी के शरद पवार गुट और शिवसेना के उद्धव गुट का समर्थन भी आम आदमी पार्टी को मिल सकता है। बीजेपी के 93 सांसदों के साथ राजद के सदस्यों की संख्या 106 है राज्यसभा में 5 मनोनीत सदस्य हैं

जो किसी भी पार्टी से संबंध नहीं रखते हैं लेकिन सदन में जब भी जरूरत पड़ती है तो यह वोट कर सकते हैं और पांचों नामित सदस्य बीजेपी को ही वोट करते हैं तो राज्यसभा में राजद के कुल सदस्यों की संख्या 111 हो जाएगी इसके बावजूद राजद को बहुमत जुटाने के लिए दूसरी पार्टियों से सहयोग लेना होगा, राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं होने के बावजूद भी बीजेपी अपने सहयोगी दलों के समर्थन से इस विधेयक को पास करा सकती है, तो फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगा कि भले ही आम आदमी पार्टी को अध्यादेश को लेकर कांग्रेस का साथ मिल गया हो या बाकी दूसरे दलों का भी साथ मिल रहा हो लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी के अपने ही खेमे से इसके विरोध में आवाज उठती है और बीजेपी अपने सहयोगी दलों का साथ ले लेती है तो केजरीवाल जी को मुंह की खानी पड़ सकती है।

नम्रता पुरोहित

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