राजनीति में कब कौन किसका साथ छोड़ दे और कब कौन किस के खेमे में चला जाए यह कहना मुश्किल होता है। शायद यह तो खुद सियासतदार भी नहीं जानते हैं कि वह मम की पिच पर कब अपने बल्ले या बॉल का इस्तेमाल कहां कर देंगें। हम इसलिए ऐसा कह रहे हैं क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, उससे पहले देश की सियासत के कई समीकरण बदल रहे हैं। एक तरफ कुछ रिश्ते टूट रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ गठबंधन भी हो रहे हैं और यह सारी कवायद हो रही है सत्ता में अपनी कुर्सी जमाने के लिए। अब जब विपक्ष सत्तारुढ़ पार्टी बीजेपी को हराने के लिए जदोजहद में लगाा हुआ हो तो खुद बीजेपी भी कैसे पीछे रह सकती थी।
विपक्ष के साथ म भी अपनी राजनीतिक ताकत जुटाने में लग गई है। जहां एक तरफ 17 और 18 जुलाई को महागठबंधन की बैठक हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ 18 जुलाई को एनडीए की भी बैठक होनी है। और 20 जुलाई से मानसून का संसद सत्र भी शुरू हो रहा है। इसी बीच 2024 के रण को जीतने के लिए बीजेपी अपने पूरे जोर शोर से बिछड़े दोस्तों को साथ लाने में लगी हुई है। इसका असर कर्नाटक से लेकर आंध्र प्रदेश तक यूपी से लेकर बिहार तक में देखने को मिल रहा है। बीजेपी के चाणक्य मम अपनी कौन सी चाणक्य नीति अपना रहे हैं यह तो कहना मुश्किल है लेकिन 18 जुलाई को होने वाली एनडीए की बैठक में जेपी नड्डा ने खत लिख कर उन सभी पार्टियों को आने का न्योता दिया है जो 2024 के चुनावी गठबंधन में बीजेपी को अपना समर्थन देंगे।
अब बात पुराने सहयोगी जीतन राम मांझी की की जाए या चिराग पासवान की इनके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा ओमप्रकाश राजभर भी इस बैठक में शामिल हो रहे हैं। इसके साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल लाने वाले एनसीपी से अजीत पवार भी पहली बार एनडीए की बैठक में भाग लेने दिल्ली आ रहे हैं। संभावना तो यह भी जताई जा रही है की देवगौडा की पार्टी जेडीएस भी इस बैठक में शामिल होगी। और तो और कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि जयंत सिंह की पार्टी आरएलडी भी इस बैठक में शामिल हो सकती है। एनडीए की इस बैठक में लगभग 20 पार्टियों के शामिल होने की चर्चा जोरों पर है। बड़ी दिलचस्प होने वाली है 2024 की यह सियासी लड़ाई। क्योंकि जो पहले दोस्त थे फिर अलग हुए और अब फिर से एक हो रहें है।
भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की ही की जाए तो अमित शाह से मुलाकात करने के बाद वे एनडीए के गठबंधन में शामिल हो गए हैं तो वहीं बिहार में भी बीजेपी की कोशिशें रंग ला रही है और इस रंग को चढ़ा रहे हैं जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश साहनी। आंध्र प्रदेश में पूर्व सीएम और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू एनडीए के साथ आ सकते हैं ऐसी अटकले लगाई जा रही है। पिछले महीने ही उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। तो वहीं कर्नाटक में कुमार स्वामी की पार्टी जदएस की भी अकटकले एनडीए में शामिल होने की लगाई जा रही है। तो अब देखने वाली बात होगी की बिछड़े दोस्तों से हाथ मिलाने के बात बीजेपी अपनी सत्ता को कायम रख पाती है या नहीं या बिहारी बाबू के नेतृत्व में विपक्ष के महाजुटान से बीजेपी की सत्ता की कुर्सी डगमगाती है।