बच्चे बेशक अभी छोटे हैं, लेकिन उनके कारनामे बड़े हैं। उनकी उंगलियां जबकी-बोर्ड पर चलती हैं तो कुछ न कुछ ऐसा रचती हैं, कि देखने वाला दांतों तले उंगली दबा ले। यह नतीजा है स्कूल स्तर पर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेटिक , इलेक्ट्रिकल टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी जैसे सब्जेक्ट पढ़ने का। विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थी इन विषयों को पढ़कर तकनीकी तौर पर इतने सशक्त हो गए हैं कि अब कंप्यूटर पर बड़े प्रोजेक्ट को भी अंजाम देने लगे हैं। देश के इस पहले स्किल स्कूल में विद्यार्थियों के लिए कोडिंग कैंप लगाया गया। इस कैंप में उन्होंने न केवल वेबसाइट बना कर दिखाई, बल्कि कई ज्ञानवर्धक और मनोरंजक गेम भी बना डाले।
कई विद्यार्थियों ने वर्चुअल तरीके से प्रोजेक्ट बना कर शिक्षकों को भी हैरत में डाल दिया। कैंप के समापन पर मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इन विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया और रचनात्मक काम के लिए उनकी पीठ थप थपाई। कुलपति डॉ.राज नेहरू ने कहाकि रचनात्मक काम करने वाले विद्यार्थी को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में कौशल का नवाचार विकसित करने के उद्देश्य से ही इस कैंप का आयोजन किया गया। इसके लिए उन्होंने स्किल स्कूल के प्राचार्य डॉ.जलबीर सिंह जाखड़ और प्रशिक्षक हितेशवातिश को बधाई दी।
कुल सचिव प्रो.ज्योति राणा ने विद्यार्थियों के रचनात्मक प्रदर्शन पर उन्हें बधाई दी और भविष्य के लिए मंगलकामनाएं भी दी। इस कैंप में स्कॉलर कंपनी के एक्सपर्ट ने विद्यार्थियों को तकनीकी गुर सिखाए। स्कॉलर के निदेशक पंकजकौल ने बताया कि विद्यार्थियों को वह तकनीकी चीजें सिखाई गई हैं, जो पेशेवर तकनीकी विशेषज्ञों को सिखाई जाती हैं। प्राचार्य डॉ. जलबीर सिंह जाखड़ ने कैंप की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसमें कई बच्चों ने वेबसाइट डिजाइनिंग करनी सीख ली है और गेम्स भी डेवलप किए हैं। आने वाले समय में इन विद्यार्थियों के लिए और एडवांस कोर्स करवाए जाएंगे।