शहर की सड़कों को सुरक्षित बनाने और यातायात व्यवस्था दुरूस्त करने के नाम पर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करोड़ों रुपये ट्रेफिक सिग्नल लाइटों और सीसीटीवी कैमरों पर खर्च किये गए है। इनमें से काफी संख्या में ट्रेफिक सिग्नल लाइटें गलत तरीके से लगाई गई है। लाइटें कहीं काफी पीछे तो कहीं काफी आगे लगाई गई हैं। ऐसे में वाहन चालक लाइटों के आगे खड़े होते हैं। जिससे उनकी तस्वीर सीसीटीवी कैमरों में कैद हो जाती है और भारी भर कम चालान उनके घर पहुंच जाता है। इस लापर वाही का खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ रहा है। वहीं रख रखाव के अभाव में अनेक ट्रेफिक सिग्नल लाइटें खराब पड़ी हुई हैं। जिनमें शहर के कई प्रमुख चौराहे भी शामिल हैं। ऐसे में लोगों को जान जोखिम में डालकर इन चौराहों को पार करना पड़ता है। जिससे पूरे शहर में जाम लग रहा है। कई बारजाम में एम्बुलेंस तक फंस जाती है। सड़कों की दर्दशा के बावजूद रोज चालान काटे जा रहे है।
नियमों के विपरित किया काम
स्मार्ट सिटी की ठेकेदार कंपनी ने शहर में धड़ाधड़ ट्रेफिक सिंग्नल लाइटें लगवानी शुरू कर दी। बिना जरूरत के भी ट्रेफिक सिंग्नल लाइटें लगवादी गई । कई चौराहों पर लाइटें गलत तरीके से लगाई गई है। ट्रेफिक सिंग्नल लाइटें चौराहे पर कहीं आगे तो कहीं पीछे लगी है। जिससे वाहन चालकों को पता नहीं चलता और वे आगे खड़े हो जाते हैं। इसके अलावा शहर के कई चौराहों पर अक्सर ट्रेफिक सिंग्नल लाइटें खराब हो जाती हैं। जिन्हें कई कई दिनों तक ठीक नहीं किया जाता । वहीं कई चौराहों पर जेब्रा क्रॉसिंग भी नियमों के वितरित बनाई गई हैं । वहीं कई चौराहों पर तो जेब्रा क्रॉसिंग बनाने की जरूरत ही महसूस नहीं की गई।जिससे पैदल चलने वालों को रोज परेशानी होती है। सरकार के करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद आम आदमी को सुरक्षित सड़क नसीब नहीं हो रही है।
असुरक्षित सडकों पर नहीं है ध्यान
शहर की अनेक सड़के जर्जर हो कर टूट चुकी है। कई जगह गहरे गड्ढे बने हुए हैं। जिन पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हालांकि कुछ सड़कों का निर्माण चल रहा है। लेकिन निर्माण के दौरान व्यवस्था न बनाए जाने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कहीं निमार्णाधीन सडकों को लंबे समय से बंद किया हुआ है। कुछ सड़के विकास के नाम पर खुदाई करने की वजह से बंद पड़ी हुई है। शहर की अनेक प्रमुख सड़कों और चौराहों का इस्तेमाल पार्किंग के रूप में हो रहे हैं। ऐसे में इन सड़कों और चौराहों से लोगों का गुजरना मुश्किल हो जाता है। जिससे शहर के विभिन्न हिस्सों में बुरी तरह जाम लग रहा है। एनएच एक, सेक्टर 48 चौक और कुछ अन्य स्थानों पर सड़क किनारे वाहनों को खड़ा कभी देखा जा सकता है।
आम आदमी के जेब पर बौझ
शहर में प्रशासन की तरफ से न तो अच्छी एवं सुरक्षित सड़कें लोगों को दी जा रही है और न ही यातायात व्यवस्था सुचारी करने का कोई ठोस इंतजाम है। ऐसे में लोगों का सड़कों से गुजरना मुश्किल हो जाता है। जाम लगने पर लोगों को जान जोखिम में डाल कर गुजरना पड़ता है। प्रशासन की तरफसे अपनी खामियों को तोदूर करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। उल्टा आम आदमी की जेब पर लगातार बौझ डाला जा रहा है। गलत ट्रेफिक सिंग्नल लाइटों और अन्य कई तरह की खामियों के कारण वाहन चालक कई बार आगे खड़े हो जाते है। लेकिन खामियों पर ध्यान दिये बिना प्रशासन की तरफ से लोगों के घरों में Online भारी भरकम चालान भेजे जा रहे हैं। महंगाई के इस दौर में लोगों के लिए भारी समस्या खड़ी हो गई है।
खामियों को दूर करने की जरूरत
सड़क सुरक्षा संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष एस के शर्मा का कहना है कि यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए चालान काटना जरूरी है। लेकिन सड़कों को सुरक्षित बनाना भी जरूरी है। ट्रेफिक सिंग्नल लाइटों की खामियों और खराब लाइटों को ठीक करना चाहिए। दुर्घटनाएं रोकने के लिए टूटी सड़कों की जल्दी से जल्दी मरम्मत कराने की जरूरत है।