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जलभराव रोकने की योजनाओं और आदेशों को बरसात ने धो डाला

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राजेश दास

जिला प्रशासन के आला अधिकारी पूरे साल शहर में जलभराव की समस्या को जड़ से खत्म करने की योजनाएं बनाते रहे। इस दौरान नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों को बार बार आपसी ताल मेल के जरिए जलभराव की समस्या को खत्म करने के लिए अनेक बार आदेश भी जारी किये गए। लेकिन आलम यह है कि संबंधित विभागों ने इस गंभीर समस्या को खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। और तो और नगर निगम ने पानी की निकासी के लिए शहर के नालों की सफाई तक करवाने की जरूरत महसूस नहीं की। नगर निगम और अन्य संबंधित विभागों की लापरवाही का खामियाजा पिछले कुछ दिनों सेशहर के लोग उठाने को मजबूर हो रहे हैं। बृहस्पतिवार को सुबह हुई जबरदस्त बरसात ने स्मार्ट सिटी में हुए विकास के सभी दावों को बुरी तरह धो दिया। शहर की न्यू जनता कालोनी समेत कई इलाकों में इतना पानी थी कि बच्चे नाव बनकर पानी में उसकी सवारी करते नजर आ रहे थे। यदि ऐसीही बरसात शहर में अक्सर होने लगी तो व्यवस्था चरमरा जाएगी।

चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी

राष्ट्रीय राजमार्ग और शहर अन्य सड़कों पर सिर्फ पानी की पानी नजर आ रहा है। जबकि बरसात से पहले प्रशासन कई दावें किये थे। राष्ट्रीय राजमार्ग पर जलभराव से वाहन खराब हो रहे हैं। जलभराव के लिए अतिक्रमण भी जिम्मेदार है। लोगों ने नालियों के ऊपर अतिक्रमण किया हुआ है। पूर्व निगमायुक्त यशपाल यादव ने अतिक्रमण हटाने का अभियान भी चलाया था। जिसे देखते हुए लोगों ने खुद ही अपने अतिक्रमण हटाने शुरू कर दिये थे। लेकिन पूर्व निगमायुक्त का यह अभियान राजनीति की भेंट चढ़ गया। जिसके कारण निगम ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिसके कारण फिर शहर भर के नालों पर अतिक्रमण हो गया। जिससे पानी की निकासी का जरिया बंद हो गया। जिसके परिणाम इन इन दिनों हो रही बरसात के दौरान साफ नजर आ रहे हैं।

व्यर्थ हो गया सरकार का पैसा

खोखले साबित हुए प्रशासन के दावें सात का मौसम आने से पहले पुलिस, प्रशासन और नगर निगम ने मिल कर जलभराव की स्थिति से निपटने की रणनीति तैयार की थी। लेकिन बृहस्पतिबार सुबह करीब आठ बजे से शुरू हुई बरसात ने प्रशासन के तमाम दावों पर पूरी तरह पानी फेर कर रख दिया। बरसात तीन घंटे तक जारी रही। इस दौरान शहर में की तमाम सडके, रिहायशी और औद्योगिक इलाकों की गलियां पूरी तरह जलमग्न हो गई। शहर की सडकों में भरे बरसाती पानी के कारण जहां तहां वाहन खराब होने लगे। जिससे जगह जगह सडकों पर बुरी तरह जाम लग गया। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति राष्ट्रीय राजमार्ग और शहर को जोड़ने वाले फ्लाइओवरों की थी। इन स्थानों पर वाहन चालकों को दिनभर जाम का सामना करना पड़ा। यातायात व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी।

विकास में तलाशते है स्वार्थ

जलभराव की समस्या से शहर के पॉश इलाके भी अछूते नहीं हैं। नगर निगम को हैंडओवर हुए ज्यादातर सेक्टरों में सफाई के अभाव में स्टॉर्म वॉटर लाइनें ठप बिल्कुल पड़ी हैं। जिससे बरसाती पानी जमीन को रिचार्ज करने की बजाए सीवर में जाकर व्यर्थ हो रहा है। कुछ साल पहले सरकार ने विकास को गति देने के लिए स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड का गठन कर दिया। स्मार्ट सिटी के तहत पहले से स्मार्ट इलाकों में ठीकठाक सडकों को उखाड़ कर नया बना दिया गया। अब सरकार ने एक और नये विभाग एफएमडीए का गठन किया है। एफएमडीए में चंद आला अधिकारियों को छोड़ कर अन्य विभागों के सेवानिवृत अधिकारियों को रखा गया है। एफएमडीए के पास तकनीकी स्टॉफ तक मौजूद नहीं हैं। ऐसे में शहर को पानी की निकासी अन्य समस्याओं से निजात कैसे मिलेगी?

विकास नहीं निजी स्वार्थ

समाजसेवी गुरमीत सिंह देओल का कहना है कि बिना योजना के होने वाले विकास कार्यो का लोगों को कोई फायदा नहीं होता। विकास कराने वाली एजेंसियों के अधिकारी जनता के लिए नहीं, निजी स्वार्थ के लिए विकास कार्य करवा कर लगातार सरकारी धन का दुरूपयोग करते आ रहे हैं। जिसका खामियाजा शहर के लोगों को बरसात में भुगतना पड़ता है।

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